सिंघाड़ा (Water chestnut) पानी में पसरने वाली एक लता में पैदा होने वाला एक तिकोने आकार का फल है। इसके सिर पर सींगों की तरह दो काँटे होते हैं। चीनी खाने का यह एक अभिन्न अंग है। इसको छील कर इसके गूदे को सुखाकर और फिर पीसकर जो आटा बनाया जाता है उस आटे से बनी खाद्य वस्तुओं का भारत में लोग व्रत उपवास में सेवन करते हैं क्योंकि इसे एक अनाज नहीं वरण एक फल माना जाता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बतानें जा रहें हैं सिंघाड़ा (Water chestnut) के फायदें तो आइये जानतें हैं –
आयुर्वेद में सिंघाड़े (Water chestnut) को गुणों का खजाना बताया गया है। यह खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के गुणों से भी पूर्ण्तः भरपूर होता है। इसमें विटमिन ए, बी और सी भरपूर मात्रा में होता है।
बवासीर (Piles) :
जिन्हें बवासीर (Piles) की समस्या है सिंघाड़ा (Water chestnut) उनके लिए भी फायदेमंद है। बवासीर (Piles) की दिक्कत होने पर कच्चा सिंघाड़ा (Water chestnut) नियमित खाने से परेशानी दूर होगी। कच्चे सिंघाड़े (Water chestnut) का सीजन न होने पर आटे की रोटियां भी खाई जा सकती हैं।
मांसपेशियां :
अगर मांसपेशियां कमजोर हैं या वीकनेस है तो, सिंघाड़ा (Water chestnut) खाएं। सिंघाड़ा (Water chestnut) पित्त और कफ को खत्म करता है।
अस्थमा (Asthma) :
अस्थमा (Asthma) के रोगियों के लिए सिंघाड़ा (Water chestnut) अत्यधिक फायदेमंद होता है। एक चम्मच सिंघाड़े (Water chestnut) के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर खाने से अस्थमा के मरीजों को राहत मिलती है।
गर्भाशय के लिए :
वो महिलाएं जिनका गर्भाशय कमजोर हो, वे नियमित कच्चा सिंघाड़ा (Water chestnut) खाएं इससे फायदा होता है।
जलन :
सिंघाड़े (Water chestnut) की बेल को पीसकर उसका पेस्ट शरीर में जलन वाले स्थान पर लगाएं। इससे दर्द में आराम मिलता है।
नकसीर :
नकसीर फूटने पर सिंघाड़ा खाने से फायदा होता है। सिंघाड़ा (Water chestnut) खाने से हड्डियां और दांत भी मजबूत होते हैं।
नोट – उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेंशानी हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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