खरी-खरी

नए युग के इस रावण को कौन समझाए…जो अपनी लंका के दहन के लिए राम के सनातन को ललकारने चला आए…

नादान क्या समझे सनातन को… सनातन की सोच को…सनातन के मान और सम्मान को… यह केवल धर्म नहीं मानवता का मर्म है… यह हजारों साल की पवित्रता…संस्कृति और संस्कार का संगम है…यह राम की मर्यादा है तो कृष्ण का स्वरूप है…यह आस्थाओं का चिंतन है तो शक्ति है का सामथ्र्य है… यह शिव का साक्षात्कार है…लक्ष्मी का शृंगार है… सरस्वती का ज्ञान है… दुर्गा की आराधना है तो काली का कवच है…यह गुरु की महिमा और शिष्य का संस्कार है…यह कृष्ण की दोस्ती है तो सुदामा का अनुराग है…यह हनुमान की भक्ति है तो रावण का संहार है….इन्हीं सनातनी परंपराओं, विश्वास और आस्थाओं की बुनियाद से यह देश सहिष्णु बना है तो समृद्ध और सामथ्र्यवान भी बना है… हम झुकते नहीं हैं… रुकते नहीं हैं… टूटते-बिखरते नहीं हैं…हम संघर्ष करते हैं… आगे बढ़ते हैं और यदि विश्वास डगमगाए… शक्ति कम पड़ जाए… साहस शिथिल होने लग जाए तो आस्था का एक दीप जलाते हैं और अध्यात्म की ऐसी रोशनी पाते हैं कि सारे अंधकार मिट जाते हैं…एक नया जोश साहस में शामिल हो जाता है… हर समस्या का समाधन मिल जाता है…एक राज्य की सत्ता के लिए इस धरा की सत्ता को ललकारने वाला स्टालिन का मूर्ख बेटा उदयनिधि न सनातन को समझ पाता है और न उसके सामथ्र्य और महिमा को….सनातन को नष्ट करने के लिए कई शक्तियां आईं…मुगल से लेकर अंग्रेजों तक ने ताकत आजमाई…लेकिन हमने बिना हथियार के अपनी आस्था की दृढ़ता से सारे विश्व में ऐसी विजय पाई कि आज भी दुनिया के कई मुल्क हमारी तरक्की से जलते हैं…संस्कार की शिक्षा के लिए तरसते हैं… जो बात स्टालिन जैसे मूर्ख नहीं समझे वो दुनिया भर के लोग समझते और इस सच को स्वीकारते हैं कि चुल्लूभर पानी के अघ्र्य से सूरज को वश में करने की शक्ति का नाम है सनातन…नभ के तारों को प्रेम से परिभाषित करने का नाम है सनातन…पशुओं से प्रेम का नाम है सनातन… गौमाताओं में 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन का नाम है सनातन… मूक प्राणियों से अनुराग का नाम है सनातन… नदियों को माता का मान देने का नाम है सनातन…जल को जीवन समझने का नाम है सनातन… धर्म नहीं संस्कार भी है सनातन…माता-पिता की सेवा है सनातन…बहन की रक्षा का वचन है सनातन… दुनिया के वेद और पुराण है सनातन…ब्राह्मणों की दीक्षा और गुरु की शिक्षा है सनातन, जिससे स्टालिन का बेटा वंचित रह गया और खुद डेंगू-मलेरिया की बीमारी बनकर रह गया… रावण के नक्शेकदम पर चलने वाले इस असुर को सीताहरण के परिणाम का भान नहीं, जो सनातनी आस्थाओं के हरण का रावण बनने चला आया…उसे हनुमानजी के लंका दहन का भान नहीं, जो अपनी सत्तादहन के लिए चला आया…सनातन सौ शक्तियों का संगम है… इस पर जो उंगली उठाएगा उसका जीवन नष्ट हो जाएगा….

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