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अल्ट्रासाउंड से पहले क्यों पीना पड़ता है ज्यादा पानी

नई दिल्‍ली (New Delhi)। अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के लिए जाने से पहले डॉक्टर हमेशा ये हिदायत देते हैं कि पेट को इससे कम से कम 10 से 06 घंटे तक खाली रखना चाहिए और साथ में पर्याप्त पानी पीना चाहिए. इतना पानी पीने से पेट फूल जाता है और पेशाब का तेज प्रेसर बना रहता है. जानते हैं कि अल्ट्रासाउंड (ultrasound) से पहले क्यों ज्यादा पानी पीना चाहिए.



मूत्राशय का विस्तार
पानी पीने से मूत्राशय का विस्तार होता है, जिससे आपको अपने गुर्दे, मूत्राशय और आसपास की संरचनाओं को अधिक स्पष्ट रूप से देखने में मदद मिल सकती है.

साफ़ एमनियोटिक द्रव
अधिक पानी पीने से एमनियोटिक द्रव को साफ करने में मदद मिल सकती है, जिससे तेज और अधिक परिभाषित छवियां प्राप्त हो सकती हैं.

बेहतर छवि गुणवत्ता
भरा हुआ मूत्राशय गर्भाशय को ऊपर ले जाने और आंत को ऐसी पोजिशन में जाने में मदद कर सकता है, जिससे बेहतर तस्वीरें आ सकती हैं.

ध्वनि तरंगें
पानी पीने से ध्वनि तरंगों को शरीर के उन हिस्सों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है, जिनकी छवि लेने की आवश्यकता है.

निर्जलीकरण से बचाता है
निर्जलीकरण के कारण आपका मूत्र गाढ़ा हो सकता है, जिससे गलत परिणाम आ सकते हैं. इससे लीवर कम पित्त का उत्पादन करता है और अल्ट्रासाउंड पर पित्ताशय को देखना अधिक कठिन हो सकता है.

कितना पानी पीना चाहिए
इसकी मात्रा अलग अलग हो सकती है लेकिन अल्ट्रासाउंड से पहले कम से कम दो लीटर पानी पीने की जरूरत हो सकती है. अल्ट्रासाउंड कराने का बेहतर तरीका ये है कि इसके एक घंटे पहले अपने पेट को एकदम साफ कर लें. मूत्र और मल कर लें. इसके बाद फिर ज्यादा पानी पीना शुरू करें ताकि उस दौरान पेट, आंतें और दूसरे चीजें साफ मिलें

क्या है अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड एक सामान्य नैदानिक ​​इमेजिंग परीक्षण है, जिसका उपयोग मानव शरीर के अंदर देखने में होता है. अब तो इसका इस्तेमाल तमाम बीमारियों में पेट की जांच करने में होने लगा है लेकिन मुख्य तौर पर इनका उपयोग अक्सर गर्भवती महिलाओं में बच्चे को देखने के लिए किया जाता है.

अल्ट्रासाउंड कैसे काम करता है
अल्ट्रासाउंड शरीर के अंदर की छवि बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है. यह एक दर्द रहित और सुरक्षित परीक्षण है जिसका उपयोग शरीर के विभिन्न हिस्सों को देखने के लिए किया जा सकता है.

इसमें ट्रांसड्यूसर द्वारा कैप्चर्ड साउंड वेव्स एक ऑब्जेक्ट के जरिए पास होती हैं और टकराकर वापस आती हैं. जिससे स्क्रीन पर स्कैन इमेज बनता रहता है. ट्रांसड्यूसर एक माइक्रोफोन की तरह दिखता है जो जांच के दौरान साउंड वेव्स को ऑर्गन तक भेजता है. डिस्प्ले इमेज के लिए गूंज (echoes) को कैप्चर करता है.

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