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ईरान-सऊदी अरब की सुलह से कंगाल पाकिस्तान को होगा फायदा? जानिए कैसे

नई दिल्ली: दुनिया के दो बड़े इस्‍लामिक मुल्‍कों ईरान (Iran) और सऊदी अरब (Saudi Arabia) के बीच ‘दुश्‍मनी’ खत्‍म हो गई है और अब वे ‘दोस्‍ती’ की तरफ बढ़ रहे हैं. दोनों पक्षों में चीन (China) ने सुलह कराई थी, जिसमें दोनों पक्ष अपने राजनयिक संबंधों को बहाल करने और एक-दूजे की राजधानी में दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हुए.

ईरान की सरकारी मीडिया के मुताबिक, ईरान-सऊदी अरब समझौते के तहत दो महीने के भीतर राजनयिक संबंध स्थापित कर रहे हैं. 2016 में शिया धर्मगुरु निम्र अल-निम्र को सऊदी द्वारा फांसी दिए जाने के बाद ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध टूट गए थे, जिससे ईरान में गुस्सा और विरोध भड़क उठा था. अब दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच चीन में हुई बैठक के बाद की घोषणा को मिडिल-ईस्‍ट में लंबे समय से चले आ रहे तनाव और संघर्षों को हल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है.

पाकिस्तान के लिए फायदेमंद ईरान-सऊदी की संबंध बहाली
ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों का सामान्यीकरण ईरान के पड़ोसी, सऊदी अरब के साझेदार और चीन के प्रमुख सहयोगी रहे पाकिस्तान के लिए भी फायदेमंद माना जा रहा है. बता दें क‍ि तेहरान और रियाद के बीच शत्रुता का पाकिस्तान पर गंभीर असर पड़ा, हालांक‍ि यह तटस्थता का दावा करता था लेकिन आपसी-व्यवहार में पाक का झुकाव सऊदी अरब की ओर था, खासतौर पर आर्थिक निर्भरता और धार्मिक संबद्धता के कारण. लेकिन पाकिस्‍तान ने दोनों मुल्‍कों को इस्‍लामिक भाईचारे का हवाला देकर एक टेबल पर लाने के प्रयास भी किए.

पाकिस्‍तान ने दोनों को एक टेबल पर लाने की कोशिश की
2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने दोनों मुल्‍कों के बीच मध्यस्थता को एक “पवित्र मिशन” कहा था. 2019 में, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने ईरान और सऊदी अरब का दौरा किया और मध्यस्थ के रूप में कार्य करने का इरादा जाहिर किया. उसके बाद मई 2021 में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इराक का दौरा किया, जो इस प्रक्रिया में योगदान देने के लिए था कि सऊदी अरब और ईरान के बीच मेल-जोल बढ़ाया जा सके. हालाँकि उस समय कोई महत्वपूर्ण सफलता नहीं मिली थी, लेकिन इस मेल-मिलाप ने सऊदी-ईरान सुलह को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया.

मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने में पाक का निहित स्वार्थ
बहराहाल, सऊदी-ईरान के राजनयिक संबंध बहाल होने के साथ, पाकिस्तान अब दोनों मुल्‍कों के साथ संतुलित राजनयिक संबंध बनाए रख सकता है, जो उसके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है. इसलिए पाकिस्‍तान ने इनके समझौते का क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की दिशा में बेहद सकारात्मक कदम के रूप में स्वागत किया है. ईरान और सऊदी अरब दोनों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने में पाकिस्तान का निहित स्वार्थ है. अतीत में, ये रिश्ते सीमा पार अपराध और आतंकवाद से प्रभावित हुए हैं, और ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए दोनों देशों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है.


पाकिस्‍तान को आर्थिक सहयोग में बढोतरी होगी
पश्चिमी एशियाई के दोनों मुल्‍कों के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ने से पाकिस्तान को फायदा हो सकता है. पड़ोसी ईरान हमेशा से पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार रहा है, और सऊदी अरब एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहयोगी है, जिसमें सऊदी में काम करने वाले एक बड़े पाकिस्तानी डायस्पोरा हैं, जो पाकिस्‍तानी आय का मुख्‍य सोर्स रहे हैं.

सुन्नी-शिया विवाद से पनपी स्थिति शांत होंगी
सुन्नी-शिया के झगड़े ने सऊदी अरब और ईरान के बीच क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता को और बढ़ा दिया था, और दोनों के बीच बढ़ती कलह पाकिस्‍तान के लिए भी चिंता का सबब बनी हुई थी. अब ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों के सामान्य होने का पाकिस्तान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव को कम करने और चरमपंथी समूहों के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है. इन दो क्षेत्रीय शक्तियों के बीच बेहतर संबंध भी अधिक स्थिर और शांतिपूर्ण मध्य पूर्व का नेतृत्व कर सकते हैं, जो पाकिस्तान के साथ-साथ व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए फायदेमंद होगा.

क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव कम होगा
इसके अलावा, पाकिस्तान में शिया आबादी बड़ा तबका है, जिसने ऐतिहासिक रूप से भेदभाव और हाशिए पर रहने का सामना किया है. ईरान और सऊदी अरब के बीच बेहतर संबंध इस समुदाय की पीड़ा को कम करने और पाकिस्तान में अधिक धार्मिक सहिष्णुता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं. ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों के सामान्यीकरण में सांप्रदायिक तनाव को कम करके और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देकर पाकिस्तान में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता है.

पाक की तटस्थ विदेश-नीति को मिलेगी धार
इसके अलावा, ईरान-सउदी का समझौता पाकिस्तान को एक तटस्थ विदेश नीति को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा, जो दोनों मुल्‍कों के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में मदद कर सकती है. सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के मैत्रीपूर्ण संबंधों के परिणामस्वरूप आर्थिक और राजनीतिक समर्थन मिल सकता है, खासकर कश्मीर जैसे मुद्दों पर. इसके अतिरिक्त, जीसीसी के साथ संबंधों को मजबूत करने से पाकिस्तान को आर्थिक सहयोग के नए अवसर मिल सकते हैं. इस बीच, क्षेत्रीय सुरक्षा में सुधार के लिए ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध आवश्यक होंगे; जबकि चीन, ईरान और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और बड़े बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होंगे.

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