डेस्क: हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को श्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि गायत्री मंत्र को अगर पूरे विधि-विधान से न किया जाए, तो इसका पूरा पुण्य नहीं मिलता. गायत्री मंत्र को करने के कुछ नियमों के बारे में बताया गया है. मंत्र का जाप करते समय इन नियमों का पालन करना जरूरी है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मंत्र का जाप स्पष्ट उच्चारण के साथ किया जाता है. जाप करते समय गलत उच्चारण से व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव पड़ता है.
धार्मिक मान्यता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, ऑफिस में आ रही समस्या आदि को दूर किया जा सकता है. गायत्री मंत्र के कई फायदे हैं. अगर इनके नियमों का ध्यान न रखा जाए,तो इसका उल्टा प्रभाव पड़ता है. आइए जानते हैं गायत्री मंत्र का जाप करने की सही विधि.
गायत्री मंत्र का जाप करने के नियम
पीले रंग के वस्त्र धारण कर करें जाप : कहते हैं कि सूर्योदय से थोड़ी देर पहले ही गायत्री मंत्र का जाप शुरू करना चाहिए. वहीं, दोपहर के समय भी गायत्री मंत्र का जाप किया जा सकता है. गायत्री मंत्र का जाप करते समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें. ऐसा करना शुभ माना गया है.
कम से कम 108 बार करें जाप : धार्मिक मान्यता है कि गायत्री मंत्र का जाप करते समय आगे और पीछे श्री का संपुट लगाकर जाप करें. इसका कम से कम 108 बार जाप करें. ऐसा करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है. इसका मंत्र जाप रुदाक्ष की माला से किया जाता है. रुद्राक्ष की माला को शुभ माना गया है. साथ ही, ऐसा भी माना जाता है कि इस जाप से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. गायत्री मंत्र सदैव मौन रहकर किया जाता है.
इस तरह का भोजन न करें : गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले खान-पान का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है. मंत्र की शुरुआत से पहले खानपान शुद्ध होना चाहिए. इस दौरान जाप करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए. साथ ही, शराब का सेवन भी न करें. ऐसा करना अशुभ माना गया है और इसका प्रभाव हमारे जीवन पर देखने को मिलता है.
रोगों से मिलती है मुक्ति : ऐसी मान्यता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है. घर में सुख-समृद्धि आती है. सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. मंत्र का जाप करने के बाद पात्र में भरे हुए जल का सेवन अवश्य करें. मंत्र जाप करने से व्यक्ति को रोगों से छुटकारा मिलता है.
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