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World Aids Day : क्‍यों 40 साल बाद भी वैज्ञानिक नहीं खोज पाए HIV वैक्सीन, यह है वजह

नई दिल्‍ली । एड्स उन खतरनाक बीमारियों में से एक हैं, जिसकी आज तक वैक्सीन नहीं बन पाई है। एक्सपर्ट कहते हैं कि एंटी रेट्रोवायरल थेरपी और दवाओं के जरिए एड्स के प्रभाव को कम किया जा सकता है, लेकिन संक्रमण की चपेट में आने के बाद इसे जड़ से खत्म करने वाली दवा (HIV Vaccine) किसी के पास नहीं है। वैज्ञानिकों को साल 1980 में पहली बार बीमारी के बारे में पता लगा था। लेकिन 40 साल गुजरने के बाद भी वैज्ञानिक इस बीमारी की वैक्सीन क्यों नहीं खोज पाए हैं।

साल 1984 में अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस विभाग ने कहा था कि वे दो साल के भीतर इसकी वैक्सीन (AIDS Vaccine) तैयार कर लेंगे। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी असफलता ही हाथ लगी। हालांकि वैक्सीन न होने के बावजूद इसकी रोकथाम से एड्स को काफी हद तक कंट्रोल किया जा चुका है। आइए जानते हैं एड्स की वैक्सीन में वैज्ञानिकों के सामने कौन सी बड़ी चुनौतियां हैं।

1. HIV में इम्यून का रिस्पॉन्स- वैक्सीन डेवलपर कहते हैं कि इंसान के शरीर में रोगों से लड़ने वाला इम्यून सिस्टम एचआईवी (Human immunodeficiency virus) वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया नहीं देता है। रोगी के शरीर में इम्यून एंटीबॉडी प्रोड्यूस तो करता है, लेकिन वो सिर्फ रोग की गति को धीमा करती है, उसे रोक नहीं पाती।

2. इम्यून का खराब रिएक्शन- एचआईवी के संपर्क में आने के बाद मरीज की रिकवरी होना लगभग असंभव है। एचआईवी पर इम्यून का कोई रिएक्शन न दिखने की वजह से वैज्ञानिक वैक्सीन नहीं बना सकते जो शरीर में एंटीबॉडी के प्रोड्यूस होने की नकल कर सके।

3. डीएनए में छिपा वायरस- शरीर में एचआईवी संक्रमण फैलने की एक लंबी अवधि होती है। इस दौरान वायरस इंसान के डीएनए में छिपकर रहता है। शरीर के लिए डीएनए में छिपे वायरस को खोजकर उसे नष्ट करना मुश्किल काम है। वैक्सीन के मामले में भी ऐसा ही होता है।

4. नष्ट हो चुके वायरस- वैक्सीन बनाने में ज्यादातर कमजोर या नष्ट हो चुके वायरस का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन एचआईवी के मामले में नष्ट हो चुका वायरस शरीर में इम्यून को सही ढंग से रिस्पॉन्स नहीं कर पाता है। इस वायरस के किसी भी जीवित रूप का इस्तेमाल भी बेहद खतरनाक है।

5. वायरस का नेचर- ज्यादातर वैक्सीन ऐसे वायरस से इंसान की सुरक्षा करती है जो रेस्पिरेटरी और गैस्ट्रो-इंटसटाइनल सिस्टम से दाखिल होते हैं। जबकि एचआईवी का संक्रमण जननांग या खून के जरिए शरीर में फैलता है।

6. जानवरों का मॉडल- जानवरों पर टेस्ट करने के बाद ही किसी वैक्सीन को इंसान के लिए तैयार किया जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश एचआईवी के लिए जानवरों का एक भी ऐसा मॉडल नहीं है जिसकी तर्ज पर इंसानों के लिए एड्स की वैक्सीन तैयार की जा सके।

7. रूप बदलने वाला HIV- एचआईवी वायरस बड़ी तेजी से रूप बदलता है। जबकि वैक्सीन वायरस के एक विशेष रूप को ही टारगेट बना सकती है। वायरस के रूप बदलते ही उस पर वैक्सीन का असर काम करना बंद कर देता है। ये सभी वजह हैं जिनके कारण आज तक एचआईवी की वैक्सीन तैयार नहीं की जा सकी है।

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