उज्जैन। महाकाल मंदिर में भस्मारती में 900 की अनमुति के बाद करीब 300 लोग अधिक घुस रहे थे, इसकी शिकायत के बाद साफ्ट वेयर में बदलाव किया गया है। नेता और उनकेपट्ठे सबसे अधिक व्यवस्थाएं बिगाड़ रहे हैं। महाकालेश्वर मंदिर में कोरोना की शुरुआत से ही तड़के होने वाली भगवान महाकाल की भस्मारती में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था। यह प्रतिबंध लगभग 17 महीने चला था और पिछले महीने 11 सितंबर को इसे हटाया गया था। साथ ही मंदिर समिति ने तय किया था कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर में क्षमता से आधे श्रद्धालुओं को प्री बुकिंग के साथ प्रवेश दिया जाएगा। यह व्यवस्था सितंबर महीने के अंत तक सही चली, लेकिन उसके बाद से इसमें भी गड़बड़ी होने लगी। मंदिर समिति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भस्मारती में कुल 1800 लोगों को पूरी क्षमता से प्रवेश की व्यवस्था है। 50 फीसदी नियम के अनुसार अभी 900 लोगों को अनुमति जारी होनी है।
लेकिन पिछले एक हफ्ते से भस्मारती में आ रहे श्रद्धालुओं का आंकड़ा 1200 से 1300 तक पहुंच रहा है। कुछ दिन पहले मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने भी भस्मारती परमिशन तथा प्रोटोकाल काउंटरों का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान यह बात सामने आई थी कि परमिशन तथा प्रोटोकाल व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों के नाम पर उनके नजदिकी लोग दबाव बनाकर भस्मारती दर्शन की अतिरिक्त परमशिन ले रहे थे। इस वजह से निर्धारित संख्या 900 की बजाय 1200 से 1300 लोग भस्मारती में शामिल होने लगे थे। इस समस्या के निदान के लिए मंदिर प्रशासक श्री धाकड़ ने भस्मारती दर्शन तथा प्रोटोकाल की ऑनलाइन अनुमति व्यवस्था में बदलाव शुरू कर दिया है और एक दो दिन में अनुमति जारी करने वाला साफ्टवेयर भी बदला जा रहा है। अभी तक एक व्यक्ति की आईडी से साथ के सभी लोगों को दर्शन और भस्मारती की अनुमति जारी हो रही थी। जल्द ही अब सभी लेागों की आईडी ऑनलाइन सॉफ्टेवेयर में अपलोड होना शुरू हो जाएगी। इसके बाद ही अनुमति जारी हो पाएगी।
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