इंदौर न्यूज़ (Indore News)

55 एकड़ के एमओजी लाइन में 13 हाईराइज बिल्डिंगें बनेंगी, टूटने लगे जर्जर मकान

  • स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रीडेंसीफिकेशन होगा, हाईकोर्ट की रोक के चलते निगम नहीं हटा पाया था निजी और सरकारी आबंटित किए गए मकान

इंदौर। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने 742 एकड़ के राजवाड़ा क्षेत्र को लिया है, जिसमें 55 एकड़ का एमओजी लाइन भी शामिल है, जिसमें महूनाका से गंगवाल बस स्टैंड तक का क्षेत्र आता है। 300 से अधिक पुराने और जर्जर एमओजी लाइन के मकानों को तोडऩे में इसलिए विलंब हुआ क्योंकि हाईकोर्ट ने स्टे दे रखा था जो पिछले दिनों हटा और अब उसके बाद निगम ने जर्जर मकानों को तोडऩे का ठेका देकर काम शुरू करवा दिया है। यहां की खाली जमीन पर निगम 13 ब्लॉक तैयार कर रहा है, जिसमें वाणिज्यिक, आवासीय व अन्य गतिविधियों के लिए दो मंजिला इमारतें निर्मित की जा सकेगी। अभी तीन ब्लॉकों को बेचने के टेंडर भी प्राधिकरण ने पिछले दिनों बुलाए थे।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निगम ने पश्चिमी क्षेत्र के एमओजी लाइन को भी लिया है, जिसे अत्याधुनिक रूप दिया जाएगा। मगर पहले कोविड और उसके बाद हाईकोर्ट स्टे के चलते यहां के 300 से अधिक निजी और सरकारी पुराने जर्जर हो चुके मकानों को नहीं हटाया जा सका। दरअसल अधिकांश सरकारी मकानों में कर्मचारी रहते हैं, जिन्होंने हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी और वहां से निगम को वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए, जिसके चलते अभी अस्थायी रूप से लोक निर्माण विभाग के खाली मकानों में इन्हें शिफ्ट करवाया गया है। निगम ने जर्जर मकानों को तोडऩे का काम भी शुरू कर दिया है, ताकि खाली होने वाली जगह पर योजना अनुसार बहुमंजिला इमारतें निर्मित कराई जा सके। कुक्कुट केन्द्र की जमीन पर भी बने 100 से अधिक मकानों को निगम तुड़वा रहा है। वहीं हाउसिंग बोर्ड के भी कई मकान बने हैं।


उल्लेखनीय है कि लगभग 500 एकड़ का महूनाका से गंगवाल बस स्टैंड तक के एमओजी लाइन में निगम व्यवसायिक, आवासीय और मिश्रित उपयोग के तहत बिल्डिंगें बनाएगा। वहीं सरकारी विभागों की भी यहां जमीनें हैं, जिनमें लोक निर्माण विभाग, हाउसिंग बोर्ड, नजूल के साथ-साथ पशु चिकित्सालय, कुक्कुट केन्द्र भी है। निगम ने पहले तो इन विभागों से लड़ाई लड़ी और फिर कैबिनेट मंजूरी के बाद शासन के जरिए इन विभागों की जमीन निगम को हस्तांतरित हो सकी। लगभग 316 सरकारी मकानों के साथ स्कूल और हाउसिंग बोर्ड की जी प्लस टू की बिल्डिंगें शामिल रही। वहीं कुक्कुट केन्द्र की जमीन पर बने मकानों को अभी तोड़ा जा रहा है। ये मकान कच्चे और जर्जर भी हो गए हैं। दूसरी तरफ निगम ने 10 से लेकर 20 हजार स्क्वेयर फीट के बड़े-बड़े भूखंड यहां पर निकाले हैं, जिन्हें ऑनलाइन टेंडरों के जरिए बेचा जा रहा है। पूर्व में हालांकि बुलाए गए टेंडर में कोई खरीददार नहीं आया।

तीन एफएआर का लाभ मिलेगा बड़े भूखंड खरीददारों को
नगर निगम ने एमओजी लाइन लाइन की खाली जमीन को 13 ब्लॉकों में विभाजित किया है और बड़ेे-बड़े आकार के इन भूखंडों को ऑनलाइन बेचकर बहुमंजिला इमारतें निर्मित कराई जाएंगी और यहां बनने वाली इमारतों को तीन एफएआर तक का लाभ मिलेगा। पिछले दिनों निगम ने ब्लॉक नं. 3, 4 और 11 के लिए ऑनलाइन टेंडर बुलाए। दरअसल केन्द्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इंदौर उन 10 शहरों में शामिल रहा जिन्हें पहली सूची में ही जगह मिल गई थी। लैंड मॉनिटाइजेशन के जरिए एमओजी लाइन के 13 ब्लॉकों को निर्मित कर निगम ने लगभग 400 करोड़ रुपए तक की कमाई तक का अनुमान लगाया और आवासीय, वाणिज्यिक के साथ अन्य गतिविधियां इन ब्लॉकों में मंजूर होगी।

पौने 2 करोड़ में दिया जर्जर मकानों को तोडऩे का ठेका
जर्जर मकानों को तोडऩे का ठेका नगर निगम ने लगभग पौने 2 करोड़ रुपए में दिया है। अभी कुक्कुट केन्द्र की जमीन पर बने 100 से अधिक जर्जर मकानों को ढहाया जा रहा है। रीडेंसीफिकेशन योजना के तहत नगर निगम इस क्षेत्र को विकसित करेगा। इसमें ब्लॉक खरीदने वालों को शुरुआत में 20 फीसदी राशि जमा करना होगी और फिर अन्य राशि 5 साल में किश्तों के रूप में ली जाएगी। तीन एफएआर के लाभ के साथ ही टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए अतिरिक्त एफएआर का लाभ मिल सकेगा। निगम जो भूखंड बेचेगा उसमें सवा 2 एफएआर का लाभ नि:शुक्त और .75 यानी पौन एफएआर का लाभ टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए खरीदा जा सकेगा।

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