इंदौर न्यूज़ (Indore News)

6 करोड़ में कुख्यात गुंडों बब्बू-छब्बू को दिया था डायमंड कॉलोनी खाली कराने का ठेका

 


अग्निबाण भंडाफोड़… प्रशासन द्वारा डाले गए छापे में मिले महत्वपूर्ण दस्तावेज
21 करोड़ में 6 एकड़ जमीन का मद्दा ने किया था अनुबंध… गरीबों की बस्ती करवाई खाली
इंदौर। भगोड़े और ईनामी भूमाफियाओं (Land mafia) की सरगर्मी से पुलिस तलाश कर रही है। वहीं प्रशासन ने इनके ठिकानों पर छापे भी डलवाए, उनमें कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और अनुबंध हाथ लगे हैं, जिसमें खजराना स्थित डायमंड गृह निर्माण (diamond house building) की डायमंड कालोनी, जो कि गरीबों की अवैध बस्ती रही है, उससे संबंधित एक महत्वपूर्ण हाथ लगा है, जिससे यह खुलासा हुआ कि इस बस्ती को खाली करवाने का ठेका भूमाफियाओंदीपक मद्दा ने 6 करोड़ में कुख्यात गुंडे बब्बू-छब्बू को दिया था। डायमंड कालोनी (diamond colony) की 6 एकड़ जमीन हथियाने के लिए पूर्व में कई गरीबों के मकान गुंडागर्दी के बल पर खाली भी करवाए गए। 10 नवम्बर 2014 को यह अनुबंध संघवी की फर्म मेसर्स संयम इन्फ्रास्ट्रक्चर में भागीदार बने दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दे (Deepak Madda) के अलावा डायमंड कालोनी के कर्ताधर्ताओं और बब्बू-छब्बू (babbu-chabbu) के बीच किया गया था।


ग्राम खजराना (Khajrana)के खसरा नम्बर 1105, 1105/1528, 1528/1/1/1 की 2.645 हैक्टेयर यानी लगभग 6 एकड़ जमीन का अनुबंध किया गया। डायमंड गृह निर्माण के नाम से हाजी एंड कम्पनी ने 1987 में यह जमीन खरीदकर रजिस्ट्री करवाई थी, जिसमें सदस्यों को कुछ मकान बनाकर दिए, तो कुछ की रजिस्ट्रियां, नोटरी, एग्रीमेंट करवाए गए। अनुबंध के मुताबिक 42 मकानों को खाली करवाने का ठेका बब्बू-छब्बू को 6 करोड़ रुपए में दिया गया। इस बारे में बकायदा भूमाफियाओं ने कुख्यात गुंडे बब्बू-छब्बू के साथ हाजी एंड कम्पनी के कर्ताधर्ताओं के साथ लिखित अनुबंध भी किए, जिसमें पैसों के लेन-देन, हिसाब-किताब सहित अन्य शर्तें तय की गई। मेसर्स संयम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. जिसमें प्रतीक संघवी डायरेक्टर हैं, जिसका पता 206, 207, नवनीत दर्शन है। इस कम्पनी के दूसरे डायरेक्टर दिलीप सिसौदिया के साथ यह अनुबंध बनाया गया, जिसमें संघवी और मद्दे की 50-50 प्रतिशत की भागीदारी रही। यह अनुबंध इर्शाद अंसानी पिता इलियाज, इरफान खान, रसीद खान पता जिला जेल परिसर, चांद खां, रज्जाक खान तर्फे प्रबंधक डायमंड गृह निर्माण के अलावा बब्बू निवासी शालीमार कालोनी, हाजी मोहम्मद व अन्य के बीच हुआ, जिसमें सहमतिदाता के रूप में संघवी सहित अन्य लोग शामिल किए गए। वहीं 07.11.2014 को एक इकरारनामा भी दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दे की ओर से किया गया, जिसमें तय हुआ कि डायमंड गृह निर्माण की 20 एकड़ जमीन में से 6 एकड़ जमीन का सौदा आपसी सहमति से 21 करोड़ रुपए में किया गया है, जिसमें से एक करोड़ रुपया बयाने के रूप में पहले और दूसरे पक्ष को दिया गया और बाकी 20 करोड़ रुपए की राशि जमीन खाली करवाने के बाद बनने वाली टाउनशिप में 2500 रुपए स्क्वेयर फीट के हिसाब से ग्राउंड फ्लोर से आखरी मंजिल तक के हिस्से की मंजिल निर्मित करवाकर दूसरे पक्ष को देगा। इसके साथ ही संयम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. ने दैनिक कार्यकलाप और कानूनी कार्यों के लिए दीपक मद्दे को अधिकृत किया।


संगठित अपराध का नायाब नमूना है ये अनुबंध
भूमाफियाओं के कई चौंकाने वाले कारनामे उजागर होते रहे हैं, किस तरह उन्होंने गृह निर्माण संस्था की जमीनों को हड़पा। वहीं इस पूरे आर्थिक महाघोटाले को संगठित अपराध की तरह अंजाम भी दिया गया। इसका खुलासा इस अनुबंध से भी होता है कि किस तरह भूमाफियाओं ने गुंडों से लेकर गृह निर्माण संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं के साथ सांठगांठ की।


इसी भूमि को लेकर हो चुका है हत्याकांड
डायमंड कालोनी की जमीन खाली कराने को लेकर बब्बू-छब्बू ने कई कारनामों को अंजाम दिया और इसी काम में शहजाद लाला को भी शामिल किया गया था, जिसने जब अपने काम के पैसे मांगे तो दोनों के बीच विवाद हुआ। इसी दौरान हुई शहजाद लाला की हत्या में भी बब्बू-छब्बू के साथ ही दीपक मद्दे का भी नाम आया, लेकिन अपने रसूख के चलते मद्दा बच निकला।


जमीन खाली कराकर बिल्डिंग बनाने का मंसूबा
कंपनी की 20 एकड़ जमीन में से 6 एकड़ जमीन का सौदा इस अनुबंध के जरिए 21 करोड़ में किया और 2 लाख 85 हजार स्क्वेयर फीट तैयार माल यानी भूखंड उपलब्ध होते, जिसके लिए ढाई हजार रुपए स्क्वेयर फीट के हिसाब से ग्राउंड फ्लोर से आखरी मंजिल तक निर्मित हिस्से की रजिस्ट्री करवाना भी तय किया गया। टाउनशिप में नो प्रोफिट-नो लॉस की बात भी कही गई।


सरकारी विभागों से मंजूरी का जिम्मा भी सौंपा
6 करोड़ में बब्बू-छब्बू को 42 से अधिक बने मकानों को खाली करवाने का ठेका तो दिया ही, वहीं नगर तथा ग्राम निवेश से साइड प्लान मंजूर करवाने, फाइनेंसर से लेकर संबंधित सरकारी विभागों से एनओसी हासिल करने सहित अन्य जिम्मा भी सौंपा गया। वहीं सुरेन्द्र संघवी व अन्य को ऑर्बिट्रेटर भी बनाया, ताकि कोई पक्ष अनुबंध का पालन ना करे तो ऑर्बिट्रेटर उस पर फैसला कर सके।

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