भोपाल । दमोह (Damoh) उपचुनाव (Damoh by-election) नतीजों को आए अभी पांच दिन ही गुजरे हैं कि प्रदेश की भाजपा (BJP) शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) ने दमोह कलेक्टर (Collector) को बदल दिया, लेकिन इसमें भी खास यह रहा है कि जिस प्रशासनिक अधिकारी को दमोह का नया कलेक्टर (Damoh Collector) बनाया गया, उन्हें सरकार ने नया आदेश जारी कर पांच घण्टे में ही रवानगी दे दी ।
दरअसल, मामला यह है कि शुक्रवार को राज्य सरकार ने पांच आईएएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए। इनमें दमोह के मौजूदा कलेक्टर तरुण राठी का भी नाम शामिल था। राठी को दमोह कलेक्टर के पद से हटाकर मंत्रालय में उप सचिव बनाया गया और उनकी जगह अनूप कुमार सिंह को दमोह का नया कलेक्टर बना दिया गया था, फिर अचानक से प्रदेश की भाजपा सरकार ने जारी अपने आदेश में कुछ घण्टो के भीतर ही संशोधन कर दिया । इस नए संशोधन में अनूप कुमार सिंह का दमोह कलेक्टर के पद पर तबादला आदेश रद्द कर दिया गया और उनकी जगह अब एस कृष्ण चैतन्य को दमोह का नया कलेक्टर बना दिया गया है ।
कांग्रेस ने बताया इसे राजनीति से प्रेरित
बतादें कि दमोह कलेक्टर का तबादला आदेश जारी होने के तुरंत बाद ही इस पर सियासत भी शुरू हो गयी थी। कांग्रेस ने दमोह कलेक्टर के तबादले पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया और कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा की ओर से कहा गया कि भाजपा में दमोह उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद से ही बयानों की बाढ़ आ गयी थी। कौन जयचंद, कौन षड्यंत्रकारी, ढूँढा जा रहा है, फिर इन सब के बीच आज कलेक्टर दमोह पर गाज गिरा दी गयी ? अबकी बार प्रशासन के भरोसे भाजपा सरकार ?
उधर, कांग्रेस के आरोप का जवाब भाजपा की ओर से भी दिया गया। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि अधिकारियों के तबादले प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं, इस इस नजरिए से देखना ठीक नहीं, कांग्रेस को पांच आईएएस अधिकारियों के तबादले मेंसिर्फ दमोह कलेक्टर ही दिखाई दे रहे हैं, जबकि उसे इन तबादलों को निरंतरता और पूर्णता के साथ देखना चाहिए।
गौरतलब है कि दमोह कलेक्टर के तबादले पर सियासत इसलिए भी हो रही है क्योंकि हाल ही में दो मई को दमोह विधानसभा उपचुनाव के परिणामों में बीजेपी उम्मीदवार राहुल लोधी कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन के हाथों 17 हजार वोटों से हार गए थे । उसके बाद से लगातार भाजपा में इस हार पर मंथन किया जा रहा था।
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