उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रसिद्ध श्री महाकलेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) उज्जैन (Ujjain) के मंदिर में 17 महीने बाद शनिवार सुबह से भस्मारती में श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलना शुरू हो गया, जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भस्म आरती के जयकारों से मंदिर गूंजा।
बता दें कि महामारी कोरोना के चलते मंदिरों में प्रवेश बंद कर दिया गया है। कोरोना गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ मंदिर में पूजा अर्चना की जा रही थी। किन्तु अब लंबे समय बाद प्रशासन ने आज से भस्म आरती में श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति दे दी हालांकि कई लोग इंतजार करते रहे, लेकिन नंदी हॉल में प्रवेश नहीं करने दिया। यहां आज बड़ी संख्या में श्राद्धलुओं ने सुख-समृद्धि के साथ कोविड से मुक्ति के लिए भगवान श्री महाकाल से प्रार्थना की।
जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह करीब 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही लोगों को प्रवेश दे दिया गया। गेट नंबर 4 से आम श्रद्धालु और गेट नंबर 5 से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया सभी के अनुमति पत्र को चेक करने के लिए मंदिर समिति ने प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्था की थी। लंबे समय बाद भस्म आरती में भक्तों का उत्साह देखने लायक था. 50 प्रतिशत क्षमता के साथ श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। शनिवार को हुई भस्म आरती में 696 लोगों को अनुमति दी गई। किसी भी श्रद्धालु को गर्भ गृह में जाकर जल चढ़ाने की इजाजत नहीं दी गई।
विदित हो कि 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भस्म आरती के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगना सुबह से ही शुरू हो गया था। बाबा महाकाल को सभी पंडे-पुजारियों ने नियम अनुसार जल चढ़ाया. उसके बाद दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया। अभिषेक के बाद बाबा का श्रृंगार कर भगवान महाकाल को भस्म रमाई गई।
Share: