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जमीन खरीदने वालों को 18 प्रतिशत जीएसटी नहीं चुकाना होगा

August 05, 2022

  • वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि जमीन की खरीदी-बिक्री वस्तु या सर्विस की श्रेणी में नहीं

उज्जैन। रियल इस्टेट के साथ-साथ भूखंड खरीददारों पर भी 18 फीसदी जीएसटी की तलवार लटक रही थी। मगर वित्त मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें यह स्पष्ट कर दिया कि जमीन की खरीदी-बिक्री वस्तु या सर्विस की श्रेणी में नहीं आती है और विकसित भूखंड पर किसी तरह का जीएसटी खरीददारों को नहीं लगेगा। अलबत्ता पहले की तरह विकास कार्य करने के ऐवज में ठेकेदारों को जो भुगतान किया जाता है उस पर अवश्य जीएसटी चुकाना पड़ेगा। पिछले दिनों इस बात का हल्ला मच गया था कि विकसित भूखंडों पर भी जीएसटी लगेगा और पिछले 5 सालों में जिन लोगों ने भूखंड खरीदे वे सब इस दायरे में आ जाएंगे। कई बिल्डर-कालोनाइजरों को एसजीएसटी और सीजीएसटी के नोटिस भी मिल गए थे।



जीएसटी की वसूली लगातार बढ़ती जा रही है और हर तरह की वस्तु या सर्विस इसके दायरे में की जा रही है। लेकिन पिछले दिनों रियल इस्टेट के कारोबार में इस बात को लेकर खलबली मच गई कि विकसित भूखंड पर भी 18 फीसदी जीएसटी वसूल किया जाएगा। दरअसल भोपाल स्मार्ट सिटी के एक भूखंड की सुनवाई करते हुए जीएसटी की अपीलेंट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने यह फैसला दे दिया था कि डवलप्ड प्लाट की कुल केवल एक तिहाई हिस्सा ही जमीन की कीमत माना जाएगा और दो तिहाई कीमत डवलपमेंट सर्विस मानी जाएगी, जिस पर 18 फीसदी जीएसटी देय होगा। इसके चलते रियल इस्टेट के साथ-साथ भूखंड खरीददारों की भी चिंता बढ़ गई कि उन्हें कहीं यह 18 फीसदी जीएसटी न चुकाना पड़े। नहीं तो उदाहरण के लिए हजार स्क्वेयर फीट का कोई भूखंड अगर 40 लाख में खरीदा है तो उस पर 5 लाख रुपए से अधिक का तो जीएसटी ही लग जाएगा। मगर अभी केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने सर्कुलर नंबर 177/09/2022 दिनांक 03 अगस्त के जरिए यह स्पष्ट कर दिया कि विकसित भूखंड पर किसी तरह का जीएसटी नहीं चुकाना पड़ेगा। इस सर्कुलर के बिन्दु क्र. 4 में जमीन के विकास कार्य, जिसमें ड्रैनेज, सड़क, बिजली या अन्य कार्य किए जाते हैं उसके एवज में ठेकेदारों को किए जाने वाले भुगतान या सामग्री खरीदी पर तो जीएसटी लगेगा ही। वहीं विकसित भूखंड पर अलग से कोई जीएसटी नहीं चुकाना पड़ेगा। रियल इस्टेट कारोबारियों की संस्था क्रेडाई ने भी इस संबंध में स्पष्टीकरण के लिए जीएसटी काउंसिल को पत्र लिखा था, जिस पर यह राहतभरा स्पष्टीकरण आ गया है।

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