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अभिषेक कुमार त्रिपाठी: भारतीय वायुसेना से टिकाऊ निर्माण तक की उत्प्रेरक यात्रा

October 04, 2025

देशभक्ति की नई परिभाषा: अभिषेक कुमार त्रिपाठी और एमजी कंस्ट्रक्शन

नई दिल्ली. आज के दौर में करियर बदलना कोई नई बात नहीं, लेकिन जब यह बदलाव समाज की दिशा और सोच को भी नया आकार दे, तो वह प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। अभिषेक कुमार त्रिपाठी (Abhishek Kumar Tripathi) इसी प्रेरणा का उदाहरण हैं। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) में 20 वर्षों तक देश की सेवा करने के बाद उन्होंने एक बिल्कुल अलग राह चुनी—राष्ट्र निर्माण (nation building) की। लेकिन इस बार उनका हथियार आसमान में उड़ते लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि ज़मीन पर टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदनशील ईंटें और निर्माण तकनीकें बनीं।

साल 2022 में अभिषेक त्रिपाठी ने एमजी कंस्ट्रक्शन की नींव रखी, जो आज एक आईएसओ-प्रमाणित इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के रूप में जानी जाती है। इस संस्था की खासियत है इसका सस्टेनेबल विज़न—ऐसा निर्माण जो न केवल आधुनिक तकनीक के साथ तालमेल बिठाता है बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा और समाज के विकास को भी प्राथमिकता देता है। तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ते भारत में, एमजी कंस्ट्रक्शन एक नई सोच का प्रतीक है, जहां टिकाऊ विकास और गुणवत्ता का संगम होता है।



अभिषेक त्रिपाठी को विशिष्ट बनाती है उनकी अनुशासन से भरी सैन्य पृष्ठभूमि और गहरी अकादमिक समझ। आर्ट्स, लॉ और एमबीए (मटेरियल मैनेजमेंट) जैसे विविध क्षेत्रों में डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने जो नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने का साहस विकसित किया, वही आज उनके व्यवसाय की सबसे बड़ी ताकत है। उद्यमिता की राह कभी आसान नहीं रही—फंडिंग, टीम निर्माण और मार्केट में जगह बनाने जैसी चुनौतियां सामने आईं—लेकिन वायुसेना से मिले धैर्य और दृढ़ता ने उन्हें हर बाधा से उबार लिया।

एमजी कंस्ट्रक्शन की खास पहचान है इसकी ग्रीन कंस्ट्रक्शन तकनीकें। यहां सफलता केवल आर्थिक लाभ से नहीं मापी जाती, बल्कि इस बात से आंकी जाती है कि समाज और पर्यावरण पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ा। कंपनी शिक्षा, स्वास्थ्य और किफायती आवास जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय है। यह प्रयास दिखाते हैं कि अभिषेक का मकसद केवल व्यवसायिक उपलब्धि हासिल करना नहीं, बल्कि राष्ट्र को टिकाऊ विकास की राह पर आगे बढ़ाना है।

वायुसेना से लेकर निर्माण उद्योग तक का यह सफर, केवल करियर बदलाव की कहानी नहीं है, बल्कि यह संदेश भी है कि सेवा की भावना वर्दी तक सीमित नहीं होती। अभिषेक त्रिपाठी आज भी राष्ट्र सेवा में जुटे हैं—बस तरीका बदल गया है।

भारत जिस भविष्य की ओर बढ़ रहा है, उसमें ऐसे दूरदर्शी और साहसी लोगों की ज़रूरत है, जो सपनों को ज़मीन पर साकार कर सकें। अभिषेक कुमार त्रिपाठी का यह सफर हमें यह सिखाता है कि देशभक्ति केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि समाज की हर ईंट में भी दिखाई दे सकती है।

 

 

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