
मैसाचुसेट्स। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (Bangladesh Nationalist Party) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान (Tariq Rahman) की 17 साल बाद लंदन (Londan) से बांग्लादेश वापसी को लेकर भारत के पूर्व राजदूत (Former Indian Ambassador) विद्या भूषण सोनी (Vidya Bhushan Soni) ने बांग्लादेश की राजनीति (Politics) और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर गंभीर चिंता जताई है।
विद्या भूषण सोनी ने कहा कि बांग्लादेश की राजनीति में इस समय ‘एक खतरनाक खेल’ चल रहा है। उनके मुताबिक, किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव के लिए जरूरी है कि सभी राजनीतिक दलों को भाग लेने का मौका मिले, लेकिन आवामी लीग को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखा गया, जिससे चुनाव की निष्पक्षता और प्रतिनिधित्व पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा, ‘जब सभी दलों को बराबर अवसर ही नहीं दिया गया, तो ऐसे चुनाव को वास्तविक प्रतिनिधि चुनाव कैसे कहा जा सकता है?’
तारिक रहमान की वापसी पर टिप्पणी करते हुए पूर्व राजदूत ने कहा कि जो नेता 17 साल तक देश से बाहर रहे हों, वे जमीन पर जनता की नब्ज को कितना समझ पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि एक ही व्यक्ति पर सारी राजनीतिक उम्मीदें टिकाना बड़ा जोखिम है। सोनी ने यह भी कहा कि बांग्लादेश को इस दौर में समझदारी, खुले विचार और ईश्वरीय कृपा; तीनों की जरूरत है, तभी वहां लोकतंत्र की सही मायनों में वापसी संभव हो पाएगी।
भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर विद्या भूषण सोनी ने कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा सत्ताधारी व्यवस्था का मूड भारत के प्रति सकारात्मक नहीं दिखता। उनके अनुसार, भारत विरोधी भावनाओं को सड़कों तक भड़काया गया है, जो दीर्घकाल में दोनों देशों के रिश्तों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक फायदेके लिए किया जा रहा हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत धैर्य रखे हुए हैऔर उसे भरोसा है कि आखिरकार बांग्लादेश में समझदारी जीत हासिल करेगी। पूर्व राजदूत ने कहा, ‘भारत ने हमेशा बांग्लादेश का मार्गदर्शन किया है। भारत के बिना बांग्लादेश आगे नहीं बढ़ सकता। यह बात उनके हित में भी है, सिर्फ भारत के हित में नहीं।’
पाकिस्तान की ओर झुकाव की संभावनाओं पर बोलते हुए पूर्व राजदूत ने कहा कि बांग्लादेश के पास विकल्प बहुत सीमित हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खुद राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है और वह बांग्लादेश को ज्यादा कुछ नहीं दे सकता, सिवाय धार्मिक आधार पर कुछ समर्थन के। पूर्व राजदूत के मुताबिक, ‘यह समर्थन बांग्लादेश को लंबे समय तक आगे नहीं ले जा सकता।’
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