इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर से नरसीमूंजी सहित एक दर्जन संस्थाओं को मिलीं रियायती जमीनें

54 करोड़ की जमीन कृषि मंत्रालय को आवंटित की, तो इंदौर में सरकारी विभागों को भी बांटी जमीनें, वहीं मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए निजी जमीनों का भी अधिग्रहण शुरू

इंदौर। वैसे तो शासन ने इन्वेस्टर्स समिट (investors summit) के नाम पर भी करोड़ों-अरबों की जमीनें आवंटित की हैं, जिनमें कुछ विवादित मामलों में ये आवंटन निरस्त भी करना पड़े। दूसरी तरफ सुपर कॉरिडोर पर टीसीएस और इन्फोसिस (TCS and Infosys on Super Corridor) को भी 230 एकड़ प्राधिकरण की जमीन आवंटित की गई। इसी तरह निजी कॉलेज नरसीमूंजी को भी बड़ा बांगड़दा में जमीन शासन ने रियायती दर पर आवंटित की। अभी शासन ने लगभग एक दर्जन संस्थाओं को रियायती दर पर आवंटित की गई जमीनों की स्वीकारोक्ति विधानसभा में भी की है, जिसमें कृषि मंत्रालय को जहां 54 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन दी, तो दूसरी तरफ समाज से लेकर भाजपा सरकार ने अपनी पार्टी के कार्यालय को बनाने के लिए भी जमीनों का आवंटन किया है। दूसरी तरफ इंदौर में निगम, प्राधिकरण के अलावा अन्य सरकारी विभागों को जहां धड़ाधड़ जमीनों का आवंटन जारी है, तो मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए सरकारी के साथ-साथ निजी जमीनों का अधिग्रहण भी किया जा रहा है।


इंदौर विकास प्राधिकरण ने वैसे तो योजना 54 में गुरुजी सेवा न्यास ट्रस्ट को भी सस्ते में भूखंड दिया, जहां पर अभी माधव सृष्टि चिकित्सा संस्थान चल रहा है। हालांकि इसमें मरीजों को रियायती दर पर इलाज और जांच की सुविधा मिलती है। मगर बेशकीमती भूखंड आवंटन को लेकर भी हल्ला मचा था और यहां तक कि लोकायुक्त ने एक बार इसका आवंटन निरस्त तक कर दिया था। मगर फिर बाद में उसी लोकायुक्त ने आवंटन को सही भी ठहरा दिया। चूंकि भाजपा सरकार खुद इस आवंटन के पीछे थी, लिहाजा किसी अन्य को टेंडर तक नहीं भरने दिए गए, वहीं अभी सरकार ने खुद ये स्वीकार किया कि पिछले एक साल में ही लगभग एक दर्जन संस्थाओं को नि:शुल्क अथवा बेहद कम कीमत पर सरकारी जमीनों का आवंटन किया गया। इसमें नर्मदा समग्र न्यास से लेकर इंदौर में बड़ा बांगड़दा में श्री विले पार्ले केवलानी मंडल मुंबई को भी जमीन आवंटित की गई, जिस पर नरसीमूंजी कॉलेज की स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री ने ही इस कॉलेज का भूमिपूजन कुछ वर्ष पूर्व किया था और इस जमीन आवंटन को लेकर लम्बे समय तक गतिरोध बना। निजी जमीन मालिकों ने भी प्रशासन के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। इसी तरह ग्राम भारती शिक्षा समिति, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम को उज्जैन में, तो नेशनल फॉरेंसिक विवि को भोपाल में, धाकड़ समाज को मंदसौर में, तो कृषि मंत्रालय को भी मुरैना जिले में लगभग 54 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की जमीन एक रुपए भू-फाटक पर दी गई। इतना ही नहीं, मुरैना में तो भाजपा कार्यालय बनाने के लिए भी सवा 2 करोड़ रुपए मूल्य से अधिक की जमीन को मात्र सरकार ने एक लाख 10 हजार रुपए में ही आवंटित कर दिया। इंदौर में पिछले कुछ वर्षों में प्राधिकरण, निगम से लेकर अन्य विभागों को भी जमीनों का आवंटन लगातार होता रहा है। वहीं अभी चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए भी जहां 75 एकड़ के डिपो बनाने से लेकर अब स्टेशनों के निर्माण के लिए भी जमीनों को दिया जा रहा है, तो निजी जमीनें भी अधिग्रहित की जा रही है। अभी बड़ा बांगड़दा की सर्वे नं. 103/1/33/2 के अलावा 103/1/34/3 सहित अन्य कुछ जमीनें जो निजी स्वामित्व की है, उसका अधिग्रहण किया जाना है। मेट्रो के अंडरग्राउंड स्टेशन निर्माण के लिए निजी जमीन अधिग्रहित की जा रही है। नायब तहसीलदार मल्हारगंज ने अभी इस संबंध में जाहिर सूचना भी प्रकाशित करवाई। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना में बनने वाले गरीबों और निम्न आय वर्गी लोगों के मकानों के लिए भी सरकारी जमीनों का आबंटन नगर निगम को किया गया है, वहीं कुछ जमीनों का भू-उपयोग परिवर्तन भी शासन ने पिछले दिनों करवाया, जिनमें पिपल्याहाना और भिचौली क्षेत्र की भी कुछ जमीनें शामिल  है, जहां जजों के लिए आवासों का निर्माण किया जाना है। कृषि और मार्ग उपयोग की ये जमीनें मास्टर प्लान में आवासीय की गई हैं।

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