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आधार कार्ड ने 5 बरस बाद लालू को मिलवा दिया अपने परिवार से, दिल छू लेगी ये कहानी


जबलपुर: जबलपुर से एक दिल छू लेने वाली हकीकत सामने आयी है. अपने घर से बिछड़े एक बच्चे के परिवार को पांच साल बाद ढूंढ़ निकाला गया. बच्चा मानसिक रूप से दिव्यांग है. वो महाराष्ट्र का रहने वाला है लेकिन भटक कर जबलपुर आ गया था. बच्चे को परिवार से मिलवाने में आधार कार्ड ने सारा रोल प्ले किया. आधार कार्ड सिर्फ लोगों की मूल पहचान ही नहीं बल्कि उन्हें उनके परिवार से जोड़कर रखने का माध्यम भी है.

केंद्र सरकार ने जब हर व्यक्ति की एकल पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड बनाने का काम शुरू किया था तो लोगों के लिए यह शासन प्रशासन की योजनाओं सहित अन्य कार्यों के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकता थी. उस वक्त किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये परिवार से बिछड़े हुए लोगों को भी मिलवाएगा. लेकिन अब आधार कार्ड लोगों को उनके परिवार से जोड़े रखने का भी काम कर रहा है.

जलगांव से हुआ था गुम
ऐसा ही एक मामला जबलपुर में भी सामने आया. यहां 5 साल पहले अपने परिवार से बिछड़कर पहुंचे एक बच्चे लालू को आधार कार्ड ने उसके परिवार से दोबारा मिलवा दिया. ये बच्चा 5 साल से जबलपुर के शासकीय मानसिक अविकसित बालगृह में रह रहा था. बताते हैं कि ये बालक महाराष्ट्र के जलगांव से गुम हो गया था. 10 जून 2017 को उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट परिवार ने थाने में करायी थी. लालू अपने घर से निकलकर किसी ट्रेन में बैठ गया था जो उसे जबलपुर ले आयी. यहां आकर वो विजय नगर में भटक रहा था. चाइल्ड लाइन के सदस्यों की नजर उस पर पड़ी और वो 23 जून 2017 को उसे बालगृह ले आए.


सबका प्यारा लालू
बच्चा क्योंकि मानसिक रूप से दिव्यांग था इसलिए उसका नाम पता के बारे में जानकारी हासिल करना नामुमकिन था. बालगृह में उसका नाम लालू रख दिया गया. यहां के स्टाफ ने लालू की अच्छी तरह से देखभाल की. वो जल्द ही यहां के बाकी बच्चों के साथ घुल-मिल गया. बालगृह अधीक्षक रामनरेश पटेल ने बताया कि जब लालू उन्हें मिला तो उसकी उम्र करीब 13 वर्ष थी और वह काफी बीमार था. कई दिन से उसने खाना पीना भी नहीं खाया था. इसलिए उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. बालगृह में उसकी देखरेख की गई. पढ़ाया लिखाया गया और दूसरे बच्चों के साथ उसे विभिन्न एक्टिविटीज सिखाई गईं.

ऐसे ढूंढ निकाला
लालू अब 17 साल 10 महीने का हो चुका है और काफी कुछ सीख गया है. कुछ समय पहले बालगृह ने उसका आधार कार्ड बनवाने के लिए एप्लाय किया. कार्ड बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू होते ही पोर्टल पर उसका आधार कार्ड रिकॉर्ड में दिखाई दिया, जो पहले ही कभी बन चुका था. बस उसी के जरिए UDID विभाग से संपर्क किया गया तो लालू का असली नाम-पता और घर का पता चल गया. लालू का असली नाम अनस शेख है. आधार कार्ड सर्विस के जबलपुर प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी और बालगृह अधीक्षक रामनरेश ने लालू के परिवार की तलाश करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया. आखिरकार उनका पता और मोबाइल नंबर मिल गया. उनसे संपर्क किया गया.

अनाथ है अनस
सोमवार को अनस के परिवार के सदस्य जबलपुर पहुंच गए. जहां अनस यानि लालू से मिलकर वे बेहद खुश हुए. अनस के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है. 2 साल की उम्र से वह अपने जीजा शेरखान के पास रह रहा था. मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद शेरखान ने उसकी देखरेख की. लेकिन 10 जून 2017 को वह जलगांव के रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. उसके खो जाने से पूरा परिवार दुखी था. अनस को उसके परिवार के सुपुर्द करने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में यह पूरा मामला रखा जाएगा और उसके परिजन होने का दावा करने वालों के साथ उसकी पुरानी पहचान वेरीफाई की जाएगी. उसके बाद परिवार के सदस्य उसे अपने साथ घर ले जा सकेंगे.

आधार कार्ड सर्विस का शुक्रिया
शेरखान ने न सिर्फ आधार कार्ड सर्विस के लिए सरकार का धन्यवाद दिया बल्कि बालगृह के अधिकारियों का भी आभार जताया। इसके साथ ही शेरखान ने कहा कि वे अब अनस को पढ़ाने और अच्छी परवरिश देने का प्रयास करेंगे.

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