इंदौर। गांधीनगर स्थित सुमतिधाम में कल हुई ऐतिहासिक अगवानी के बाद हर दिन उल्लास का माहौल है। आज सुबह जब 388 पिच्छीधारी आहारचर्या को निकले तो पूरा परिसर नमोस्तु.. नमोस्तु… आत्रो… आत्रो….. तिष्ठो तिष्ठो की मनुहार से गूंज उठा। परिसर में मुनि महाराजा व आर्यिकाओं के लिए 360 चौके लगाए गए हैं। जैन आगम के अनुसार दिन में एक बार भोजन और पानी लेने की परंपरा मुनि महाराजों द्वारा की जा रही है, जिसे देख अन्य समाज के धर्मावलम्बी भी आस्था व आदर की भावना से नतमस्तक हो रहे हैं।
आचार्यश्री पुष्पदंतसागर महाराज ने कहा कि जो अपने निकट पहुंचते हैं तो इनडोर (इंदौर) हो जाते हैं, जो पदार्थों के नजदीक जाते हैं वे आउटडोर हो जाते हैं। आचार्य विराग सागर हमसे दूर नहीं है। उन्होंने सभी को व्यवहार सिखाया, जीने की कला सिखाई। आचार्यश्री विनिश्चय सागर महाराज ने कहा कि मैं कोलकाता से यहां आ रहा हूं अपने गुरू विराग सागर महाराज की आज्ञा का पालन कर रहा हूं। गुरूदेव ने पहले हमें विशुद्ध सागर महाराज के रूप में एक अच्छा मित्र दिया।
अब एक अच्छे विश्वास के रूप में हमें एक ताकत मिली है। गुणानुवाद सभा के बाद सभी 388 पिच्छी धारी आहारचर्या को निकले। सफेद धोती ओर खादी की साड़ी में महिलाओं ने पडग़ाहन किया। गांधी नगर गोधा एस्टेट स्थित सुमतिधाम में आयोजित 6 दिवसीय पट्टाचार्य महोत्सव के दूसरे दिन देशना मंडप में प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए मुनियों ने अपनी भावना व्यक्त की, उन्होंने जैन धर्मावलंबियों को णमोकार मंत्र की व्याख्या करते हुए कहा कि णमोकार महामंत्र 84 लाख मंत्रों का राजा है। जिसमें आतंकवाद जैसी समस्याओं से मुक्ति का उपाय हैं। अखण्डता, अनेकता में एकता की बात करने वाला मंत्र णमोकार हैं। आज इन्दौर में णमो लोए सव्वं याहूणं का पाठ सर्वत्र दिखाई दे रहा है। जो होश में जीता हैं, होश में मृत्यु को प्राप्त होता है। उसका नाम समाधि मरण हैं, जो होश में जीए बेहोशी में मरे, वो भोगी है।
संतों के आगमन से धरा पवित्र होती है
श्री सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय गोधा एस्टेट, पट्टाचार्य महोत्सव समिति, गुरू भक्त परिवार एवं मनीष-सपना गोधा ने बताया कि सुमति आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज को शास्त्र भेंट किए। सुबह 5 बजे से स्तुति, देव दर्शन, स्तवन और आचार्य वंदन के साथ दिनचर्या की शुरुआत हुई ,स्वाध्याय के साथ वात्सल्य मंडप में गंणधर विधान आयोजित किया गया। इस अवसर पर सपना-मनीष गोधा ने कहा कि संतों के आगमन से धरा पवित्र होती हैं। आत्म साधना का तेज और मोक्ष मार्ग का संकल्प लेकर चलने वाले दिगंबर आचार्य, मुनि, आर्यिका माता, हमारे प्रेरणा पुंज है। सुमतिधाम की पवित्र धरा पर एक साथ 388 संतों का आगमन हम सबके भाग्य और सौभाग्य का उदय है।
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