- बोले, अपने अंदर के हुनर को पहचान कर तराशे खुद को
इंदौर। बेहतर यह है कि अपने अंदर के हुनर को पहचान कर खुद को तराशे। यूं नहीं कि किसी को देखकर हम यह ठान ले कि हमें यह बनना है। मैंने अपना लक्ष्य कभी नहीं बदला। थिएटर (Theater) की ओर मेरा झुकाव देखकर मेरे पिताजी (Father) ने मुझे इस फील्ड (Field) में लाने वाली पहली सीढ़ी तक पहुंचाया। वहां न केवल मैं अपने सपने को साकार कर सका, बल्कि मुझे ओमपुरी जैसा एक बहुत अच्छा दोस्त भी मिला।
इंदौर (Indore) आए राकेश बेदी (Rakesh Bedi) ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (Devi Ahilya University) के पत्रकारिता एवं जनसंपर्क अध्ययनशाला (Journalism and Public Relations School) में एक वर्कशॉप में यह बात कही। अभिनेता यहां जिंदगी के साथ ही एक्टिंग पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को आधे मन से करने पर सपने अधूरे ही रह जाते है। मैंने शुरू से अपनी जिंदगी में कुछ बनने का ठाना था, तो उसी पर अडिग रहा। थिएटर से जिंदगी शुरु हुई और एक्टिंग का सफर भी।
राकेश बेदी ने यहां छात्रों से यह भी कहा कि कोई भी चीज दो दिन में हासिल नहीं होती। मंजिल पाने के लिए लंबा सफर तय करना होता है। राकेश बेदी ने न केवल अपनी जिंदगी से जुड़े किस्से छात्रों के साथ बांटे, बल्कि एक्टिंग के तमाम गुर भी सिखाए। उन्होंने कई अभिनेताओं के साथ अच्छे बीते लम्हों की जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि एक्टिंग करने के लिए आपको थिएटर जरूर करना चाहिए, क्योंकि यही छोटी-छोटी बारीकियों और समय के महत्व को समझने में हमारी मदद करता है। कोई भी काम जब आप दिल से करते हैं, तो वह आपके लिए काम नहीं, आपका शौक बन जाता है।
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