अफगानिस्तान ने राजधानी काबुल में चीन के एक जासूसी सेल का भंडाफोड़ किया है. 10 सदस्यों के इस सेल पर जासूसी करने और आतंकी सेल चलाने का आरोप लगा है. इन 10 चीनी नागरिकों को अफगानिस्तान में हाल ही में हिरासत में लिया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि चीन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन अफगानिस्तान ने कहा है कि वो चीनी नागरिकों को माफ कर सकता है लेकिन उसके लिए चीन को औपचारिक माफीनामा देना होगा. काबुल और दिल्ली में इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि नागरिकों का पकड़ा जाना बीजिंग के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है. चीन अशरफ गनी सरकार पर इस मामले को दबाने का दबाव बना रहा था.
10 चीनी नागरिकों को अफगानिस्तान के नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्योरिटी (NDS) ने पकड़ा है. इन सभी पर जासूसी और आतंकी सेल चलाने का आरोप लगा है. ऐसा माना जा रहा है कि ये लोग चीन की जासूसी एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी से जुड़े हो सकते हैं. अमेरिका के अफगानिस्तान से सेना वापस बुलाने के साथ ही चीन अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा, “10 में से 2 चीनी नागरिक हक्कानी नेटवर्क के संपर्क में थे. ये आतंकी संगठन तालिबान के साथ काम करता है.”
राष्ट्रपति अशरफ गनी को इन हिरासत के बारे में जानकारी दी गई है. गनी ने पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह को जांच की निगरानी और चीन से बात करने की जिम्मेदारी दी है. सालेह अफगान इंटेलिजेंस एजेंसी के प्रमुख भी रह चुके हैं. अमरुल्लाह सालेह ने चीनी राजदूत के साथ बैठक की और उन्हें नागरिकों की हिरासत के बारे में बताया. सालेह ने राजदूत को ये संकेत दिए हैं कि अफगानिस्तान चीनी जासूसों को माफ कर सकता है, लेकिन इसके लिए चीन को औपचारिक माफीनामा देना होगा. इसमें चीन को मानना पड़ेगा कि इंटरनेशनल नियमों का उल्लंघन हुआ और ‘काबुल का भरोसा तोड़ा गया.’
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