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21 साल के जैक टेक्सीरा की रिहाई नहीं चाहता अमेरिका, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिए बताया खतरा

नई दिल्‍ली (New Delhi) । अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन (Pentagon) से लीक हुई ‘टॉप सीक्रेट फाइलों’ का मामला अब और पेचीदा होता जा रहा है. खुफिया दस्तावेजों (intelligence documents) को लीक करने के आरोप में 21 साल के जैक टेक्सीरा (Jack Teixeira) को एफबीआई ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था.

अमेरिकी न्याय विभाग का कहना है कि जैक कि रिहाई से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. जैक को पिछले महीने ही फेडरल कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था, जहां प्रॉसिक्यूटर्स ने कहा कि उसे जेल में ही रहने की जरूरत है. इस संबंध में न्याय विभाग ने दस्तावेज पेश किए हैं जिनमें उन कारणों को बताया गया है कि आखिर क्यों 21 साल के जैक को उसके ट्रायल से पहले रिहा नहीं किया जाना चाहिए.

पेंटागन के इन लीक दस्तावेजों की वजह से अमेरिका के कई सहयोगी देश उससे नाराज हैं. दरअसल जो डॉक्‍यूमेंट्स लीक हुए हैं उनमें यूक्रेन युद्ध से लेकर कई और अहम जानकारियां हैं जिनकी वजह से अब बाइडेन प्रशासन को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जैक ने इन खुफिया दस्तावेजों को गेमिंग ग्रुप में इन सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स को शेयर किया था.


कौन है जैक टेक्सीरा
जैक मैसाच्‍यूसेट्स में एयर नेशनल गार्ड्समैन के तौर पर तैनात था. वह 2019 में एयर नेशनल गार्ड में शामिल हुआ था और आईटी विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहा था. जैक ने अमेरिका के कई सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स गेमर्स के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड के चैटरूम में शेयर किए थे. उसके ग्रुप का नाम ‘ठग शेकर सेंट्रल’ था.

लीक दस्तावेजों में क्या?
लीक हुए डॉक्यूमेंट्स में खुलासा हुआ है कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग में यूक्रेन की ओर से सिर्फ यूक्रेनी सेना नहीं लड़ रही है. डॉक्यूमेंट्स में खुलासा हुआ है कि यूक्रेन में इस वक्त 14 अमेरिकी और 50 ब्रिटेन की टुकड़ियां मौजूद हैं जो कि रूस से सीधे तौर पर लोहा ले रही हैं.

एक अन्य दस्तावेज में कहा गया है कि नाटो के सदस्य देशों अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और लात्विया के 100 विशेष ऑपरेटिव पहले से ही यूक्रेन में मौजूद थे. ब्रिटेन की स्पेशल फोर्सेज ने 2021 में यूक्रेन की सेना को ट्रेनिंग दी थी. लेकिन ब्रिटेन सरकार ने कभी भी यूक्रेन में अपनी स्पेशल फोर्सेज की मौजूदगी की बात को स्वीकार नहीं किया.

इन दस्तावेजों में बताया गया है कि यूक्रेन में पश्चिमी देशों की स्पेशल फोर्सेज मौजूद हैं. इनमें ब्रिटिश स्पेशल फोर्सेज की टीम सबसे बड़ी है. ब्रिटेन के 50, लातविया के17, फ्रांस के 15, अमेरिका के 14 और नीदरलैंड का एक कर्मी यूक्रेन में मौजूद हैं.

दो मार्च के एक अन्य गोपनीय दस्तावेज से पता चला कि सर्बिया ने रूस पर किसी भी तरह के प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और यूक्रेन की सेना को ट्रेनिंग देने से इनकार कर दिया था. लेकिन सर्बिया ने यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने पर सहमति जताई थी और कई हथियार पहले भी भेज चुका था.

दांव पर क्या है?
इस तरह के गोपनीय दस्तावेज लीक होने से सिर्फ जानकारी ही बाहर नहीं आती बल्कि विभिन्न देशों के सूत्रों की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ हो सकता है क्योंकि यही सूत्र पेंटागन को खुफिया जानकारी मुहैया कराने में मदद करते हैं. कई मामलों में अमेरिकी सूत्रों की जिंदगी भी खतरे में पड़ सकती है.

यूरेशिया ग्रुप के साउथ एशिया प्रैक्टिस हेड प्रमित पाल चौधरी ने कहा कि इससे सिर्फ जानकारी ही बाहर नहीं आती बल्कि कौन यह जानकारी मुहैया करा रहा है, उसकी सुरक्षा को भी खतरा रहता है.

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