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बेसलाइन आयात शुल्क पूरी तरह खत्म करे अमेरिका… ब्रिटिश मॉडल के पक्ष में नहीं भारत

June 08, 2025

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका (India and America) के बीच अर्ली हार्वेस्ट व्यापार समझौते (Early Harvest Trade Agreement) की दिशा में चल रही वार्ताओं में 10% बेसलाइन आयात शुल्क का मुद्दा (Baseline import duty issue) सबसे प्रमुख बन गया है। यह शुल्क ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल को सभी देशों से होने वाले आयात पर लगाया था। अब भारत चाहता है कि अमेरिका इस टैरिफ (Tariff) को पूरी तरह खत्म करे। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारतीय वार्ताकारों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे ब्रिटेन (Britain) के मॉडल को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं, जिसमें अमेरिका और यूके के बीच हुए समझौते के बावजूद ब्रिटिश वस्तुओं पर बेसलाइन शुल्क जारी है।


भारत की ओर से वार्ता में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि भारत ने अमेरिका से आग्रह किया है कि 10% बेसलाइन शुल्क के साथ-साथ 9 जुलाई से प्रस्तावित अतिरिक्त 16% शुल्क को भी पूरी तरह से हटाया जाए। उन्होंने कहा, “आदर्श स्थिति में समझौता होने के बाद दोनों टैरिफ (10% और अतिरिक्त 16%) को एक साथ समाप्त किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो भारत को भी समान और आनुपातिक टैरिफ बनाए रखने का अधिकार रहेगा।”

यह बयान 13 फरवरी को वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जारी संयुक्त बयान के आधार पर दिया गया, जिसमें “Mission-500” के तहत वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था।

एक अन्य अधिकारी ने भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि केवल वही समझौता दीर्घकालिक टिकाऊ हो सकता है जो “संतुलित और परस्पर लाभकारी” हो। उन्होंने कहा, “अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था। इसलिए दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता निष्पक्ष, न्यायसंगत और जनस्वीकार्य होना चाहिए।”

भारत का मानना है कि दोनों देशों के व्यापार हित प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि परस्पर पूरक हैं। इसलिए भारत अमेरिकी वस्तुओं के लिए अधिक बाजार पहुंच देने को तैयार है, बशर्ते अमेरिका भी उसी भावना से जवाब दे।

यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव के सहायक ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक अमेरिकी वार्ताकार टीम 4 जून को दिल्ली पहुंची है। यह पांचवीं बार है जब दोनों देशों के वार्ताकार आमने-सामने बातचीत कर रहे हैं। पहले यह दौरा दो दिन का माना जा रहा था, लेकिन अब यह 10 जून तक चलेगा। इस दौर की बातचीत में टैरिफ सहित कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा चल रही है। इसके बाद अगला दौर अमेरिका में होगा।

आपको बता दें कि दोनों पक्ष 9 जुलाई से पहले एक अंतरिम (‘अर्ली हार्वेस्ट’) व्यापार समझौता करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इसके बाद सितंबर-अक्टूबर 2025 में प्रथम चरण का द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) लाया जाएगा।

ब्रिटेन-अमेरिका मॉडल से भारत की असहमति
यूएस-यूके के बीच हुए समझौते का हवाला देते हुए अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने यूके पर अभी भी एल्यूमीनियम, स्टील, ऑटोमोबाइल और पार्ट्स पर क्रमशः 25% और 10% टैरिफ लागू कर रखे हैं। इसके बावजूद 8 मई को केवल आंशिक छूट वाला “इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील” हुआ। भारत इसे एक अधूरा मॉडल मानते हुए उससे बचना चाहता है।

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