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भारत से तनाव के बीच मालदीव तुर्किए से क्यों खरीद रहा मिलिट्री ड्रोन्स, चीन के साथ मिलकर क्या साजिश रच रहे मुइज्जू

नई दिल्ली: भारत और मालदीव के बीच हालिया तनाव के बीच राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू एक बार फिर भारत के खिलाफ दिख रहे हैं. मुइज्जू ने तुर्किए के साथ ड्रोन को लेकर एक करार किया है. इस ड्रोन के जरिए मालदीव स्पेशल इकोनॉमिक वॉटर इलाके में गश्त करेगा. अब तक भारत और मालदीव एक साथ मिलकर हिंद महासागर के इस इलाके में संयुक्त रूप से गश्त कर रहे थे. मालदीव और तुर्किए के बीच यह समझौता तब हुआ है जब मुइज्जू सरकार ने भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक देश छोड़ने की मोहलत दी है.

मालदीव की न्यूज़ सर्विस कंपनी अधाधू ने मंगलवार को बताया कि माले ने देश के समुद्री क्षेत्र में गश्त के लिए सैन्य ड्रोन खरीदने के लिए एक तुर्की कंपनी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के लिए मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल ने 37 मिलियन डॉलर आवंटित किए हैं.


स्विंग स्टेट उन शब्द उन देशों के इस्तेमाल होता है, जो अपने फायदे के लिए संबंधों में फेरबदल करते रहते हैं. यानी जिस वक्त किसी देश से फायदा दिखता है उसके करीब हो जाते हैं और फिर हित सधने के बाद दूरी बना लेते हैं. मालदीव का हालिया व्यवहार यहीं दर्शाता है वह स्विंग स्टेट बन चुका है. जब तक भारत से उसके हित सध रहे थे तब तक मालदीव भारत को अपना अभिभावक बताया और अब चीन का पिछलग्गू बन गया है क्योंकि वह चीन से निवेश और फंड चाहता है.

मालदीव के समुद्री किनारों की निगरानी पहले भारत करता था, लेकिन चीन दौरे के बाद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को वापस जाने का अल्टीमेटम दे दिया. इसके तुरंत बाद हिंद महासागर में निगरानी के लिए ड्रोन खरीदना कोई संयोग नहीं है. मालदीव के बदले तेवर में चीन का हाथ है क्योंकि वह हिंद महासागर में अपना दबदबा चाहता है और यहां से उसे भारत पर सीधे नजर रखने का लाभ भी मिलता है.

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