विदेश

भारत पर ठोका दावा: फ्रांसीसी महिला ने 17 माह तिहाड़ जेल में अवैध रूप से रखने का लगाया आरोप, मांगा हर्जाना


नई दिल्ली। फ्रांस की एक 62 वर्षीय महिला ने भारत पर अवैध रूप से एक साल से ज्यादा समय तक तिहाड़ जेल में बंद रखने का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र के एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह के समक्ष दावा किया है। यह समूह मनमाने ढंग से हिरासत में रखने के मामलों को देखता है। महिला ने भारत से हर्जाने देने की मांग की है।

मैरी-एमानुएल वेरहोवेन 2015 में भारत के बौद्ध धर्मस्थलों की यात्रा पर आई थी। इस दौरान उसे 17 माह तक तिहाड़ जेल में रखा गया था। उसकी याचिका पर मानवाधिकार समूह ने भारत को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। भारत ने 16 फरवरी को नोटिस का जवाब दे दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के इस समूह ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि भारत सरकार के जवाब गोपनीय स्वरूप के हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

मैरी-एमानुएल वेरहोवेन ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून व अन्य अधिकारों के तहत मामला दायर किया है। 2015 में अधिसूचित किए गए ये अधिकार बंदियों को न्यूनतम सुविधाओं के मानकों से संबंधित हैं। इन्हें ‘मंडेला रूल्स’ भी कहा जाता है।

चिली के रेड कॉर्नर नोटिस पर गिरफ्तार किया था
फ्रांसीसी महिला वेरहोवेन पहले चिली में संयुक्त राष्ट्र की जेल अधिकारी के रूप में काम कर चुकी है। वेरहोवेन को 2015-16 में भारत यात्रा के दौरान 17 माह तक तिहाड़ जेल में रखा गया था। उसकी गिरफ्तारी चिली के अधिकारियों द्वारा जारी रेड कॉर्नर नोटिस पर की गई थी। इसके बाद उसके खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू की गई थी। इस कार्यवाही का उसने विरोध किया था।


चिली के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं
चिली सरकार ने माना था कि भारत व उसके बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। इसलिए उसके खिलाफ वर्ष 1897 के ब्रिटेन व चिली करार के आधार पर कार्यवाही गई थी। उस संधि के वक्त भारत ब्रिटेन का उपनिवेश था। महिला जुलाई 2017 में फ्रांस लौटी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने उसके चिली प्रत्यर्पण की दो अर्जियों को खारिज कर दिया था।

नहीं भूल पा रही तिहाड़ जेल में की गई मारपीट
वेरहोवेन का कहना है कि वह तिहाड़ जेल में बंद रहने के दौरान अन्य कैदियों द्वारा की गई मारपीट को अभी तक नहीं भूली है। वह इसी दौरान अपने पिता की मौत होने पर अपने परिजनों से बात तक नहीं कर सकी थी। उसने तिहाड़ में इलाज नहीं मिलने का आरोप भी लगाया है। वेरहोवेन ने यह भी कहा कि वह निर्दोष करार दिए जाने के बाद रिहाई में की गई ढीलपोल को भी नहीं भूल पाई है।

भारत को अपना दूसरा घर मानती थी
फ्रांसीसी महिला का कहना है कि वह भारत से बहुत प्यार करती थी। भारत आध्यात्मिकता के कारण मेरा दूसरा घर था, लेकिन इस घटना का सोचकर अब भी रात की नींद उड़ जाती है। अब नहीं समझ पा रही हूं कि आखिर बिना किसी केस व दावे के मुझे हिरासत में क्यों रखा गया। मेरा देश फ्रांस मेरे साथ था, फिर भी मुझे इतने लंबे समय तक जेल में क्यों रखा गया।

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