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सेना सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा नहीं करती, बल्कि देश की पूरी सभ्यता की सुरक्षा करती है : राजनाथ सिंह


नई दिल्ली । सेना (Army) किसी भी राष्ट्र की सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा नहीं करती (Does Not Just Protect the Borders of Any Nation), बल्कि वह उस देश की (Rather that Country) सांस्कृतिक (Cultural), आर्थिक (Economic) और एक प्रकार से उस देश की पूरी सभ्यता की सुरक्षा करती है (Protects the Entire Civilization of the Country) । भारत का इतिहास इस बात का उदाहरण है कि जब-जब भारत में सेनाएं कमजोर हुई हैं, तब तब आक्रांताओं ने भारत को नुकसान पहुंचाया है। शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक इकॉनोमिक कॉन्क्लेव के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बातें कहीं ।


उन्होंने कहा कि इसलिए एक सरकार के रूप में हमने यह सुनिश्चित किया है, कि हमारी सेनाएं सशक्त हों, उनके पास अत्याधुनिक हथियार हों और उनमें यूथफुलनेस बनी रहे। हमने हर वो कदम उठाया है जिससे भारत की सैन्य ताकत बढ़े और हम वापस भारत को एक सुपर पावर बना पाएं। रक्षा मंत्री ने स्पाइडर मैन फिल्म के एक डायलॉग का जिक्र करते हुए कहा कि ‘ग्रेट पावर कम्स विद ग्रेट रिस्पांसिबिलिटी’। उन्होंने कहा कि जब हम एक सुपर पावर के रूप में दुनिया के सामने आएंगे, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकतंत्र, धार्मिक स्वतन्त्रता, मानव की गरिमा और वैश्विक शांति जैसे जो वैश्विक मूल्य हैं, वो पूरी दुनिया में कायम हो सके। हां, हमें यह भी ध्यान में रखना होगा, कि हम अपने विचार किसी पर न थोपें।

रक्षा मंत्री ने बताया कि हम पहली ऐसी सरकार हैं, जिसने हथियारों के आयात के लिए खुद पर ही प्रतिबंध लगाया है। हमने सेनाओं की ओर से 411 आइटम की, एवं डिफेंस पीएसयू की 4,666 आइटम की सकारात्मक स्वदेशी लिस्ट जारी की है। इसमें शामिल लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट, हथियार, गोले बारूद, मिसाइल और अन्य रक्षा साजो सामान शामिल हैं, जिनका निर्माण अब केवल और केवल हमारे ही देश में होगा। आज हमारा स्वदेशी रक्षा उत्पाद का आंकड़ा भी 1 लाख करोड़ रूपए पार कर चुका है। रक्षा मंत्री ने कहा, अगर मैं निर्यात की बात करू, तो आज से 7-8 साल पहले रक्षा उपकरणों का निर्यात जहां एक हजार करोड़ रुपए भी नहीं हुआ करता था, वह आज लगभग 16 हजार करोड़ रुपए हो गया है। हमने मेक इन इंडिया और डिफेंस कॉरिडोर जैसी नई शुरूआत के माध्यम यह सुनिश्चित किया, कि हम भारतीय सेनाओं के इस्तेमाल के लिए अत्याधुनिक हथियार भारत में ही निर्मित करें, और यदि संभव हो तो हम उसे निर्यात भी करें।

सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित हमारे जिन गांवों को आज तक नजरअंदाज किया गया, हमने उन्हें भी सड़कों के माध्यम से देश के बाकी क्षेत्रों से जोड़ा है। अगर आप एयरपोर्टस की संख्या पर गौर करें तो 2014 की तुलना में आज हमारे पास दोगुने से अधिक एयरपोर्टस हैं। हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई जहाज से यात्रा कर सके, इस संकल्प के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, हमारे देश में कई सारे राजनीतिक दल हैं। जाहिर सी बात है, राजनीतिक दल लोकतंत्र की धुरी होते हैं। बिना राजनीतिक दलों के लोकतंत्र बेहतर तरीके से चल ही नहीं सकता, लेकिन हमारे देश के कई राजनीतिक दलों में हमें यह देखने को मिलता है कि वह किसी विचारधारा पर प्रेरित राजनीति नहीं करते हैं, बल्कि उनकी राजनीति किसी व्यक्ति व किसी परिवार व किसी जाति के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। यदि मैं भारत के राजनीतिक भविष्य की बात करूं, तो मेरी यह इच्छा है कि जैसे-जैसे हम भविष्य में आगे बढ़ते जाएं, वैसे-वैसे ही हमारा लोकतंत्र सुदृढ़ होता जाए। राजनीति का अपराधीकरण खत्म होता जाए, और हमारा देश भरोसे की राजनीति के मार्ग पर आगे बढ़े। राजनीति को जनता की सेवा का एक माध्यम समझा जाए।

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि बीटीएस के बारे में जानने वाला हमारा युवा, तानसेन को भी उतना ही जाने। नेपोलियन के बारे में पढ़ने वाला हमारा युवा समुद्रगुप्त की विजय यात्रा के बारे में भी जाने। शेक्सपियर के हैमलेट को पढ़ने वाला हमारा युवा, भरतमुनि के नाट्यशास्त्र और कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम को भी उतना ही जाने। आप देख सकते हैं कि किस प्रकार से योग और आयुर्वेद को हमने एक वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास किया है।

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