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पिता से गिफ्ट में मिली घड़ी बेचकर मुंबई पहुंचे और अपना सपना साकार किया


भारतीय बॉलीवुड के जुबली कुमार की आज जयंती
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे राजेंद्र कुमार बचपन से ही अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे जब अपने सपने साकार करने मुंबई पहुंचे तो उनकी जेब में मात्र 50 रूपए थे वह भी पिता से गिफ्ट में मिली घड़ी को बेचकर मिलें थे संघर्ष शुरू हुआ आखिर 1950 में जोगन फिल्म में सम्मान जनक रोल मिला और फिर सफलता की सीढियां चढ़ते गए ।
आज के दौर में जहां कलाकारो को एक हिट फिल्म देने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता था वहीं साठ और सत्तर के दशक में राजेन्द्र कुमार की फिल्में सिल्वर जुबली (25 सप्ताह) पूरी करती थी और उन्हें जुबली कुमार का दर्जा दिया गया था। आज ही के दिन 20 जुलाई 1929 को पंजाब के सियालकोट में राजेंद्र कुमार ने जन्म लिया था। वर्ष 1963 से 1966 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में राजेन्द्रकुमार की लगातार छह फिल्में हिट रहीं और कोई भी फिल्म फ्लाप नहीं हुई। मेरे महबूब, जिन्दगी, संगम और आई मिलन की बेला, सभी, आरजू और सूरज सभी ने सिनेमाघरों पर सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली मनाई। इन फिल्मों के बाद राजेन्द्र कुमार के कैरियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया, जब मुम्बई के सभी दस सिनेमाघरों में उनकी ही फिल्में लगी और सभी फिल्मों ने सिल्वर जुबली मनाई। यह सिलसिला काफी लंबे समय तक चलता रहा। उनकी फिल्मों की कामयाबी को देखते हुए उनके प्रशंसकों ने उनका नाम ही जुबली कुमार रख दिया था। 12 जुलाई को वह इस दुनिया से रुखसत कर गए थे।
50 रु. लेकर पहुंच गए थे मुंबई नगरिया
राजेन्द्र कुमार अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। जब वह अपने सपनों को साकार करने के लिये मुम्बई पहुंचे तो उनके पास मात्र पचास रूपए थे। जो उन्होंने अपने पिता से मिली घड़ी बेचकर हासिल किए थे। घडी बेचने से उन्हें 63 रूपए मिले थे। जिसमें से 13 रूपए से उन्होंने फ्रंटियर मेल का टिकट खरीदा। मुंबई पहुंंचने पर गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से राजेन्द्र कुमार को 150 रूपए मासिक वेतन पर काम मिल गया ।
यह थी जुबली कुमार की सुपरहिट फिल्में
राजेंद्र कुमार ने लगभग 80 फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। आरजू, गूंज उठी शहनाई, मेरे मेहबूब, दिल अपना प्रीत पराई, संगम, गीत, झुक गया आसमान, अंजाना, गोरा और काला, तलाश, धूल का फूल, आई मिलन की बेला, मदर इंडिया, हमराही, सूरज, झूक गया आसमान, घराना, साजन की सहेली, बिन फेरे हम तेरे, जिंदगी, ललकार, आप आऐ बहार आई, पंतग, ससुराल आदि।

 

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