आचंलिक

श्रद्धापूर्वक श्रीराम कथा के श्रवण से मंगल ही मंगल होता है

  • स्व.लक्ष्मीकांत शर्मा की स्मृति में आयोजित हो रही श्री राम कथा में श्री रामजन्मोत्सव में हुई बधाई

लटेरी। धर्म के साथ खिलबाड़ छेड़छाड़ प्रकृति क्षमा नही करती है धर्म दर्शन के लिए है इसका प्रदर्शन करना ठीक नही है। कथा भक्ति है आत्म तत्व का भोजन मार्गदर्शन है भक्ति धर्म का बोध कराती है इसलिए जब सनातन संस्कृति में हमारा जन्म हुआ है तो हमें धर्म मयजीवन का आचरण करना चाहिए। यह बात प्रेम मूर्ति रसिक पूज्यपाद कथा व्यास प्रेमभूषण जी ने शुक्रवार को चतुर्थ दिवस की श्री रामकथा के दौरान कही। उन्होंने इसके पूर्व गुरुवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राम के प्रकटोत्सव की कथा का श्रवण कराते हुए देश भक्ति के महत्व से श्रुतिजनों को अवगत कराया।
स्व.लक्ष्मीकांत शर्मा की स्मृति में लटेरी के श्री हनुमान सरोबर प्रांगण में आयोजित हो रही श्रीराम कथा में भगवान राम के बाल्यकाल की लीलाओं का दर्शन कराते हुए कहा कि भगवान के जन्म उपरांत अयोध्या आंनद के रस में डूब गई लगातार पाँच वर्ष तक निरंतर उत्सव आनंद का का क्रम चलता रहा। उन्होंने भजन के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भगवत भजन करता है उस पर भगवत्कृपा स्वत: ही हो जाती है। जीवन के समस्त संशय खत्म हो जाते है जो श्रद्धापूर्वक कथा श्रवण करता है उसका मंगल ही मंगल होता है। उसकी आदि व्यादि अपने आप भाग जाती है। इसके पूर्व गुरुवार को सम्पन्न हुई कथा में कथा व्यास ने गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व और माँ शारदा के प्रकटीकरण के पर्व बसंत पंचमी के महत्व से भी श्रद्धालुओं को अवगत कराया। इस दोइरण उन्होंने संगीतमय राष्ट्रीय गीत सुनाकर भक्ति के पांडाल को राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत कर दिया।


सत्संग का पलड़ा हमेशा भारी होता है
श्रीराम कथा के दौरान मधुर भजनों ओर चौपाइयों के साथ श्रद्धालुओं से वार्ता करते हुए महाराज श्री ने कहा कि संसार के सारे व्यवहारों से मुक्त होने के बाद कथा श्रवण करना तपस्या की परिचार्य है। अगर स्वर्ग और मोक्ष दोनों के सुख को तराजू के एक पलड़े पर रखें और दूसरे पलड़े पर सत्संग का सुख रखें तो भी सत्संग का ही पलड़ा भारी रहता है। जो श्रद्धापूर्वक विश्वास के साथ श्रीरामकथा का श्रवण करता है उसका सब दिशा में मंगल ही मंगल होता है। हमे बस अपने कर्म के प्रति सावधान रहना चाहिए हमारे कर्म से ही हमारा अगला जन्म निश्चित होता है। सात्विक आहार ही हमारे विचारों, व्यवहार को शुद्ध करता है।

भाषा,भेषभूषा की रक्षा करना सबका कर्तव्य
कथा के समापन पर विधायक उमाकान्त शर्मा ने विशाल कथा पंडाल में उपस्थित सनातनी श्रद्धालुओं से अपनी भारतीय भेषभूषा को धारण करने का आग्रह किया। उन्होंने माता बहिनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि महिलाएं साड़ी के ररूप में भारतीय परिधान को धारण करती है लेकिन पुरुषों ने आधुनिकता में अपने परंपरागत धोती कुर्ता सहित भारतीय भेषभूषा को खोते जा रहें है जो कि चिंता का विषय है भाषा और भेषभूषा की रक्षा हम सबको करनी ही पड़ेगी। आज की आधुनिक पीढ़ी भाषा को भूलती जा रही है उदाहरण देते हुए कहा कि पहले गंगा जी नर्मदा जी जाते समय लोकभाषा में लमटेरा के गीत गाए जाते थे जो अब लुप्त होते जा रहें है। उन्होंने लटेरी के नागरिकों से कथा प्रांगण स्थल जिसको बाल हनुमान तालाब कहा जाता है उसको अपनी प्रचलित लोकभाषा में तालाब के स्थान पर हनुमान सरोबार कहने आव्हान भी किया ।
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