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आयशा खान Suicide कांड ने मुस्लिम समाज को झकझोर कर रख दिया

नई दिल्ली । अहमदाबाद की रहने वाली आयशा आरिफ खान के जरिए साबरमती नदी में छलांग लगा कर आत्महत्या किए जाने की खबर ने पूरे मुस्लिम समाज को झकझोर कर रख दिया है। अपने दहेज लोभी पति और ससुराल वालों की दिन प्रतिदिन बढ़ती मांगों के कारण आयशा को आत्महत्या जैसे घृणित और हराम कार्य करने पर मजबूर होना पड़ा है। इस घटना के बाद से मुस्लिम समाज में दहेज के बढ़ते चलन और शादी-ब्याह में की जाने वाली पैसों की नुमाइश पर खुलकर चर्चा की जा रही है।



ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की महिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉक्टर आसमा जेहरा ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस्लाम में जहां निकाह को बहुत ही आसान और सरल बनाया गया है वहीं कुछ लालची और दहेज लोभियों ने निकाह और शादी-ब्याह को बहुत ही पेचीदा और जटिल बना दिया है। उनका कहना है कि शरीयत में निकाह करने के बाद पति को पत्नी को मेहर देने को कहा गया है। इसके अलावा पत्नी का पालन पोषण, उसके रहने आदि के लिए घर का इंतजाम पति के ही सुपुर्द किया गया है। घर में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं का भी प्रबंध करने की जिम्मेदारी पति के ही जिम्मे है लेकिन इसके बावजूद भारत और दक्षिण एशियाई देशों में लड़की के घर वालों को लड़की की विदाई के साथ दहेज का सारा सामान देने का रिवाज चल पड़ा है, जो कि इस्लामी शरीयत के बिलकुल खिलाफ है।

आसमा जेहरा ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जो कि भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है, आयशा खान की घटना से काफी चिंतित हुआ है। बोर्ड ने इस घटना का नोटिस लिया है और बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी की तरफ से भी इस घटना की कठोर निंदा की गई है और आने वाले दिनों में बोर्ड की तरफ से दहेज और शादी विवाह में होने वाली फिजूल खर्ची से सम्बंधित बैठक बुलाने और इस पर विचार विमर्श कर देशभर के मुसलमानों के लिए दिशानिर्देश जारी करने की बात की गई है।

ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के महासचिव अल्लामा बुनाई हसनी ने आयशा खान आत्महत्या मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह बहुत ही दुखद घटना है। इस मामले में दोषी ससुराल वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका कहना है कि इस्लाम जितना सीधा और सरल मजहब है, कुछ लोग उसे उतना ही जटिल बनाने में लगे हुए हैं।

यूनाइटेड मुस्लिम्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाहिद अली एडवोकेट ने आयशा मामले पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि आयशा खान की आत्महत्या ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा समाज कहां जा रहा है? जहां इस्लाम में लड़कियों को इतने सारे अधिकार दिए गए हैं, वहीं हम लड़कियों के अधिकारों को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं।

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