इस्लामाबाद । पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की मुश्किलें पाकिस्तान में ही बढ़ती जा रही हैं। चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के चलते मुश्किलें झेल रहे बलूचिस्तान के लोगों ने अब अपने मकसद के लिए सिंध प्रांत के राष्ट्रवादियों से हाथ मिला लिया है। सरकार में पंजाबी मुस्लिमों के बोलबाले से बलोच और सिंधी शुरू से खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। अब दोनों प्रांतों के राष्ट्रवादियों ने मिलकर पाकिस्तान से अलग होने की लड़ाई छेड़ने का फैसला किया है।
पाकिस्तान के गठन के समय से ही बलोच उसके साथ रहने के खिलाफ हैं। बाद में बलोचों के शांतिपूर्ण आंदोलनों को बर्बरता से कुचले जाने से उनमें गुस्सा बढ़ गया। इसी के बाद बलोच लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलोच रिपब्लिकन आर्मी और बलोच रिपब्लिकन गार्ड्स जैसे संगठन खड़े हुए और उन्होंने अत्याचार के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया।
अब इन संगठनों ने सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी के साथ मिलकर बलोच रजी अजोय संगर बनाने का एलान किया है। इस नए संगठन का उद्देश्य साथ मिलकर सीपीईसी का विरोध करना होगा। इस संगठन के कार्यकर्ता उन सभी जगहों पर जाएंगे, जहां पर सीपीईसी के कार्य चल रहे होंगे, वहां पर ये कार्यकर्ता कार्यो को रोकेंगे। सीपीईसी पर चीन चार लाख रुपये खर्च कर रहा है।
संगठन के प्रवक्ता बलोच खान ने कहा है कि नया संगठन सीपीईसी के विरोध के साथ बलूचिस्तान और सिंध की पाकिस्तान की आजादी के लिए भी कार्य करेगा। उन्होंने कहा, दोनों प्रांतों के लोग हजारों साल से अपनी जमीन 9पर रह रहे हैं। उनके बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, फिर हम अपने साझा मकसद के लिए क्यों न साथ मिलकर लड़ें। सीपीईसी बलूचिस्तान, सिंध और गिलगित-बाल्टिस्तान के संसाधनों का फायदा उठाकर केवल पंजाब प्रांत को सुविधा संपन्न बनाने और चीन को लाभान्वित करने की साजिश है, जिसे सफल नहीं होने देना है।
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