नई दिल्ली । बलूचिस्तान में पाकिस्तान (Pakistan) को गहरा जख्म मिला है. यह जख्म दिया है बीएलए यानी बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (Balochistan Liberation Army) ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक (Train Hijack) कर बीएलए ने पाकिस्तान के होश उड़ा दिए. भले ही ट्रेन से सभी बंधकों को छुड़ाने में पाक सरकार कामयाब हो गई. मगर बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने खतरे की घंटी बजा दी है. यह खतरे की घंटी केवल शहबाज सरकार के लिए ही नहीं है. बल्कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भी बेचैनी बढ़ा दी है. बीएलए से केवल पाक हुकूमत को ही नहीं, अब चीनी सरकार (Chinese Government) को भी डरने की जररूत है. बीएलए ने ट्रेन हाईजैक कर पाकिस्तान और चीन दोनों को अपनी ताकत का एहसास करा दिया है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीएलए जैसे समूहों ने जिस तरह से बीते कुछ दिनों में पाक में खलबली मचाई है, उससे पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी चिंतित होना चाहिए. बीएलए के ये हमले बलूचिस्तान में चीन के हितों को भी निशाना बना रहे हैं. बीएलए ने एक तीर से दो शिकार किए हैं. एक तो पाकिस्तान बीएलए को हल्के में नहीं लेगी. दूसरी बात यह कि चीन भी अब बलूचिस्तान में फूंक-फूंककर कदम रखेगा.
बलूचिस्तान में चीन का क्या काम
बलूचिस्तान में चीन का बड़ा निवेश है. यहां चीन ने न केवल न्यू ग्वादर एयरपोर्ट बनाया है, बल्कि सीपीईसी प्रोजेक्ट में भी पानी की तरह पैसा लगाया है. ऐसे में अशांत बलूचिस्तान में बीएलए की इन हिमाकतों से शहबाज के साथ-साथ जिनपिंग की नींद उड़नी तय है. भारतीय खुफिया सूत्रों की मानें तो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में बीजिंग के अहम निवेश पर सीधे हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने में पाकिस्तान की विफलता चिंता का कारण है. सूत्रों का कहना है कि बलूचिस्तान में लगातार हो रहे हमलों से चीनी कामगारों और परियोजनाओं के लिए जोखिम बढ़ गया है. इससे CPEC में देरी हो सकती है या यह पटरी से उतर सकता है. यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
चीन की कैसे उड़ी नींद
बीते कुछ हमलों को देखें तो बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (BLA) चीनी कामगारों और काफिले और परियोजनाओं जैसे बुनियादी ढांचे पर हमला करता रहा है, जिससे चीन के निवेश और कर्मियों की सुरक्षा को सीधे खतरा है. जाफर एक्सप्रेस की हाईजैकिंग बीएलए की बढ़ती क्षमताओं को दिखाती हैं. जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को जिस तरह से अगवा किया गया, उससे जिनपिंग को अपने प्रोजेक्ट पर खतरा सता रहा होगा. बीएलए ब्रिगेड में 5,000 से अधिक लड़ाके हैं. उनके पास हथियारों का जखीरा है. उन्होंने 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान को उपलब्ध कराए गए अमेरिकी हथियार हासिल कर लिए हैं. इस वजह से भी चीन की चिंता जायज है.
बहुत खतरनाक हो गया है बीएलए
साल 2018 के बाद से बीएलए ने भी खुद को डेवलप किया है. खासकर आत्मघाती बम विस्फोटों जैसे आतंकवादी इस्लामी समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति को अपनाकर. BLA ने महिलाओं की भर्ती करके भी अपने रैंक को बढ़ाया है. बीएलए के हमलों के आगे पाक थरथर कांपता है. पाक अब तक बीएलए को रोकने में फेल रहा है. बलूचिस्तान में हाल में जितने हमले हुए हैं, सबके पीछे बीएलए ही है. बलूचिस्तान को सोने की चिड़िया कहा जाता है. यहां खूब प्राकृतिक संपदा हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी बलूचिस्तान के खजाने से ही चलती है. बीएलए और बलोच पाक पर इस इलाके का दोहन करने का आरोप लगाते हैं. बीएलए अलग देश की मांग करते रहे हैं.
बीएलए को रोकने में पाक फेल
सूत्रों ने बताया कि, बीएलए के हमलों को रोकने के मामले में यह पाकिस्तान की पूरी तरह से विफलता है. सुरक्षा सुनिश्चित करने में पाकिस्तान की विफलता का मतलब है कि चीन के आर्थिक और रणनीतिक लक्ष्य जोखिम में पड़ सकते हैं या संभावित देरी, बढ़ी हुई लागत या परियोजना रद्द भी हो सकती है. ये हमले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर रहे हैं, क्योंकि अस्थिरता को अपने हितों की रक्षा करने में विफलता के रूप में देखा जा सकता है.’
कहा जाता है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का साथ है. हाल के हमलों ने चीनी हितों को सीधे तौर पर खतरा पैदा कर दिया है, जिसकी जिम्मेदारी BLA ने ली है.
– 13 अगस्त 2023 चीनी इंजीनियरों पर हमला: BLA के लड़ाकों ने ग्वादर में एक काफिले पर हमला किया.
– 6 अक्टूबर, 2024, कराची हमला: BLA के मजीद ब्रिगेड ने कराची हवाई अड्डे के पास दो चीनी नागरिकों को मार डाला, जो बलूचिस्तान से बहुत दूर चीनी कामगारों को निशाना बनाने वाले एक पैटर्न का हिस्सा था.
– अगस्त 2024 अटैक: राजमार्गों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने सहित 70 से अधिक लोग मारे गए.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved