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दो साल में 10 गुना कम हुए बैंकिंग फ्रॉड, काम आए सरकार के ये उपाय


नई दिल्ली: भारतीय बैंकिंग प्रणाली (Indian Banking Syastem) में फ्रॉड (Banking Fraud) के मामले लंबे समय से सबसे बड़ी चिंता बने रहे हैं. तमाम प्रयासों के बाद भी बैंकिंग फ्रॉड कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा था. हालांकि सरकार के कुछ हालिया उपायों ने इस मोर्च पर राहत भरी खबर दी है. पिछले दो साल के दौरान भारत में बैंकिंग फ्रॉड में तेजी से कमी आई है. सरकार की मानें तो इस दौरान देश में बैंकिंग फ्रॉड करीब 10 गुना कम हो गया है.

इस तरह कम होते गए बैंकिंग फ्रॉड
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री Bhagwat Karad ने सोमवार को संसद में बैंकिंग फ्रॉड के आंकड़ों की जानकारी दी. उन्होंने रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2019-20 में बैंकों व चुनिंदा वित्तीय संस्थानों ने 32,178 करोड़ रुपये के बैंकिंग फ्रॉड की जानकारी दी थी. फाइनेंशियल ईयर 2021-22 (FY22) में यह आंकड़ा कम होकर 3,785 करोड़ रुपये पर आ गया. उन्होंने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि इससे पहले फाइनेंशियल ईयर 2020-21 (FY21) में 11,800 करोड़ रुपये के बैंकिंग फ्रॉड हुए थे.


कोविड के दौरान कर्जदारों को इतनी राहत
केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ने कोविड-19 महामारी (Covid-19) के दौरान अप्रत्याशित और बेहद खराब हालत को देखते हुए योग्य कर्जदारों को राहत दी. उन्हें 01 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक सिर्फ कम्पाउंड इंटेरेस्ट (Compound Interest) और साधारण ब्याज (Normal Interest) के अंतर का भुगतान करने की सुविधा दी गई, जिसकी गणना 29 फरवरी 2020 तक के बकाये के आधार पर की गई. इससे कर्जदारों को महामारी के दौरान बड़ी राहत मिली. उन्होंने कहा कि इसके तहत करीब 19.92 करोड़ कर्जदाताओं ने लाभ उठाया और उन्हें करीब 6,474 करोड़ रुपये की राहत प्रदान की गई.

RBI ने कर्जदारों को दी थी ये मोहलत
कोविड-19 महामारी को देखते हुए कर्ज की किस्तें चुकाने में असमर्थ कर्जदारों की मदद करने और उनके व्यवसाय को बिना व्यवधान के चलते रहने में सक्षम बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने 27 मार्च 2020 को कोविड-19 रेगुलेटरी पैकेज (RBI Covid-19 Regulatory Package) का ऐलान किया था. इसके तहत रिजर्व बैंक ने कर्ज देने वाले संस्थानों को कहा था कि वे कर्जदारों को सभी किस्तों का भुगतान करने के लिए तीन महीने की राहत दें. पहले यह राहत मार्च से लेकर मई तक के लिए दी गई थी. हालात को देखते हुए रिजर्व बैंक ने बाद में इस राहत को अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया था.

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