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B’day : ब्रिटिश राज में पहली महिला केबिनेट मंत्री थी विजयलक्ष्मी पंडित, आजादी में भी अहम भूमिका

दिल्ली। भारत (India) को ब्रिटिश राज (British Raj) से आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं. भारत को स्वतंत्र देश बनाने के लिए अनेक क्रांतिकारियों ने संघर्ष किया और बलिदान दिए थे. इनमें एक नाम विजयलक्ष्मी पंडित का भी है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) की बहन थीं. आज, 18 अगस्त को विजय लक्ष्मी पंडित की 122वीं जयंती है. उनका जन्म 18 अगस्त 1900 को हुआ था. कम लोग ही जानते होंगे कि विजयलक्ष्मी आजादी से पहले संयुक्त प्रांत की प्रांतीय विधानसभा (Assembly) के लिए निर्वाचित हुईं थी और कैबिनेट मंत्री बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं.

विजयलक्ष्मी पंडित(Vijay Lakshmi Pandit), जवाहर लाल नेहरू से 11 साल छोटी और अपनी बहन कृष्णा नेहरू से 7 साल छोटी थीं. उन्होंने घर पर ही अंग्रेजी सीखी बाद में इलाहाबाद से राजनीति साहित्य की पढ़ाई की थी. साल 1921 में उन्होंने काठियावाड़ के जाने माने वकील रणजीत सीताराम पंडित (Ranjit Sitaram Pandit) से शादी की. पहले पिता मोतीलाल नेहरू और बाद में भाई जवाहरलाल नेहरू के साथ राजनीति में बनी रहीं. 01 दिसंबर 1990 को देहरादून में विजयलक्ष्मी पंडित का निधन हो गया था



विजयलक्ष्मी पंडित की उपलब्धियां
1937 में ही ब्रिटिश इंडिया के यूनाइटेड प्रोविन्सेज में कैबिनेट मंत्री का पद मिल गया था. उन्होंने 1937 से 1939 तक ‘लोकल सेल्फ गर्वनमेंट’ और ‘पब्लिक हेल्थ’ विभाग का कार्यभार संभाला
1946 में विजया को संविधान सभा के लिए चुना गया. यहां उन्होंने महिलाओं की बराबरी से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी.
1947 में उन्हें रूस में (तब सोवियत संघ) भारतीय राजदूत बनाया गया. जहां 1949 तक कार्यभार संभाला.
1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वह दुनिया की पहली महिला थीं.
1962 से 1964 तक वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद रहीं.
1964 में फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंचीं.
1979 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया.

कई महीनों तक जेल में रहीं
स्वतंत्रता संग्राम में महात्म गांधी के आंदलनों से प्राभावित होकर विजया भी कई आंदोलनों से जुड़ीं और कई बार जेल भी गईं. 1940 में सत्याग्रह आंदोलन में उन्हें 4 महीने तक जेल में रखा गया था. जेल से बाहर आने के बाद वे ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में बढ़-चढ़कर भाग लेने लगीं, करीब 9 महीने जेल में रहीं और स्वास्थ्य खराब होने के बाद अंग्रेजों ने उन्हें जेल से रिहा किया था. 14 जनवरी 1944 को उनके पति रणजीत सीताराम पंडित का निधन हो गया था.

इंदिरा गांधी के अपातकाल के फैसले से नाखुश थी विजया
विजयलक्ष्मी, रिश्ते में भारत की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी की बुआ थीं. 1975 अपातकाल के समय विजया इंदिरा गांधी से काफी नाखुश थीं जिसपर दोनों के बीच काफी कहासुनी भी हुई थी. पत्रकार कुलदीप नैयर की एक किताब ‘बियांड द लाइंस: एन ऑटोबायोग्राफी’ के मुताबिक, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के अलावा उनकी बुआ विजय लक्ष्मी पंडित भी इंदिरा गांधी के इमर्जेंसी के फैसले से नाखुश थीं. वे न सिर्फ खुलकर इमर्जेंसी का विरोध कर रही थीं बल्कि इंदिरा से मिलकर भी उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. यह भी कहा जाता है कि इस मुद्दे को लेकर दोनों के बीच कहा-सुनी भी हुई थी.

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