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LIC एजेंट की वजह से बड़े कोविड टेस्टिंग घोटाले का हुआ खुलासा, जानें पूरा मामला


नई दिल्ली. उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार (Haridwar) में इस साल अप्रैल महीने में कुंभ मेले का आयोजन हुआ। कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बीच बड़े स्तर पर शुरू हुआ यह मेला कार्यक्रम विवादों के घेरे में आ गया था। हाईकोर्ट जैसी बड़ी संस्थाएं भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रही थीं। इस दौरान एक बड़े कोविड टेस्टिंग घोटाले (Covid Testing Scam) का खुलासा हुआ। इस खुलासे की शुरुआत पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक LIC एजेंट विपन मित्तल के जरिए हुई।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मित्तल के पास 22 अप्रैल को एक मैसेज आया, जिसमें कहा गया कि उनकी कोविड जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है। खास बात यह है कि उन्होंने टेस्ट कराया ही नहीं था। अपने निजी डेटा के खतरे में होने की शंका के बीच उन्होंने पड़ताल शुरू की। जिला स्तर से शुरू होकर आरटीआई तक पहुंची खोज के बाद एक बड़ा गोलमाल सामने आया, जिसे ‘देश का सबसे बड़ा फर्जी कोविड जांच घोटाला’ कहा जा रहा है।



अखबार के मुताबिक मित्तल ने बताया, ‘मेरी कोविड-19 रिपोर्ट कह रही थी कि मैं नेगेटिव था, लेकिन मैंने जांच नहीं कराई थी। मैं जिला स्तर पर अधिकारियों से मिला, लेकिन मुझे जाने के लिए कहा गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस बात को जानने में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे कि क्या चल रहा है। आखिरी उपाय के तौर पर मैंने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को ई-मेल के जरिए एक शिकायत भेजी।’

ICMR ने जांच की बात कही, लेकिन हफ्ते भर बाद भी जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने लैब की जानकारी हासिल करने के लिए RTI दायर की। ICMR ने मामले पर संज्ञान लिया और पाया कि मित्तल का सैंपल ‘हरिद्वार में लिया और जांचा गया है।’ वहां से मित्तल की शिकायत को उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग (Uttarakhand Health Department) के पास भेजा गया। एक बड़ी जांच के बाद सामने आया कि मित्तल उन एक लाख लोगों में शामिल हैं, जिनकी जाली रिपोर्ट हरियाणा की एजेंसी ने तैयार की थी।

जांच में पता चला कि दिए गए नाम और पते फर्जी हैं। कई लोगों ने एक ही फोन नंबर और एंटीजन टेस्ट किट की जानकारी दी। जबकि, किट का इस्तेमाल एक बार ही किया जा सकता है। राजस्थान के ऐसे कई छात्रों का नाम सैंपल देने वालों में शामिल था, जो कभी कुंभ नहीं गए। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने मेला अवधि के दौरान सैंपल इकट्ठा करने वाली आठ एजेंसियों की मदद से कुल चार लाख जांचें की थीं। फिलहाल अन्य एजेंसियां जांच के दायरे में हैं।

स्वास्थय मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया ‘फर्जी टेस्ट्स की कुल संख्या का पता जांच के बाद चलेगा।’ अग्रवाल ने जानकारी दी कि उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य सचिव से बात की है और इस संबंध में जांच रिपोर्ट एक या दो सप्ताह में सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘मामले में शामिल लोगों को जिम्मेदार माना जाएगा और जहां जरूरत होगी आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।’

पॉजिटिविटी रेट के चलते हुआ शक
रिपोर्ट में उत्तराखंड में कोविड-19 स्थिति की निगरानी कर रही सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन (Social Development for Communities Foundation) के सदस् अनूप नौटियाल के हवाले से कहा गया, ‘कुंभ मेला के दौरान हरिद्वार जिले में आसाधारण तरीके से कम पॉजिटिविटी रेट संदेह के घेरे में रहा। लेकिन अधिकारियों ने आंखें बंद कर ली थीं।’ अप्रैल में हरिद्वार का पॉजिटिविटी रेट औसतन 2.8 फीसदी था। जबकि, अन्य 12 जिलों में यह आंकड़ा औसतन 14।2 प्रतिशत पर था।

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