डूसू चुनाव में ABVP की जीत को भाजपा ने माना मोदी मैजिक, 2024 के लोकसभा चुनाव पहले पढ़ा युवा मन
नई दिल्ली (New Delhi) । दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (DUSU Election 2023) में एक बार फिर भाजपा (BJP) समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपना परचम लहराया है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एबीवीपी (ABVP) की इस शानदार जीत से भाजपा नेता गदगद नजर आ रहे हैं। भाजपा इस जीत के पीछे भी मोदी मैजिक को वजह मान रही है। डूसू चुनाव परिणामों को लेकर दिल्ली भाजपा कहना है कि इससे पता चलता है कि देश के युवाओं का क्या मूड है।
युवा भाजपा के काम से प्रभावित : सचदेवा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने चुनाव नतीजों को स्वागत करते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि युवा बड़ी संख्या में एबीवीपी प्रतिनिधियों के साथ खड़े हैं। युवाओं ने एक बार फिर दिखाया है कि देश की सुरक्षा और प्रगति उनकी लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है, जो केंद्र सरकार के नेतृत्व में देश में दिखाई दे रही है, क्योंकि आज हमारा देश चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न मना रहा है तो जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन से दुनियाभर में हमारा नाम हुआ है, जिससे युवा भी केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज से प्रभावित हुए हैं।
बता दें कि, दस साल में सातवीं बार एबीवीपी का अध्यक्ष चुना गया है। हालांकि, तीन बार अध्यक्ष पद एनएसयूआई के खाते में गया है। साल 2019 के चुनाव में एबीवीपी के अक्षित सिंह दहिया ने रिकॉर्ड 19 हजार वोटों से अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। इससे पहले साल साल 2018 में एबीवीपी के अंकित बसोया अध्यक्ष बने थे। साल 2017 में एनएसयूआई के रॉकी तुषीद डूसू के अध्यक्ष चुने गए थे। साल 2016 में एबीवीपी के अमित तंवर, 2015 में एबीवीपी के सतेंद्र अवाना और 2014 में मोहित नागर, 2013 अमित अवाना ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। 2012 में एनएसयूआई के अरुण हुड्डा अध्यक्ष बने थे। 2011 में एनएसयूआई के अजय चिकारा ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था।
पिछली बार से अधिक मतदान : डूसू चुनाव में शुक्रवार को 42 फीसदी वोट पड़े थे, जो पिछले चुनाव (साल 2019) की तुलना में करीब 2.10 फीसदी अधिक हैं। 2019 के चुनाव में 39.90 फीसदी वोट पड़े। तीन साल बाद हुए चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पदों के लिए 24 प्रत्याशी मैदान में थे।
– तुषार डेढ़ा, अध्यक्ष (एबीवीपी), ”तीन साल बाद छात्रसंघ चुनाव का होना और एबीवीपी का इतने बड़े अंतर से जीत दर्ज करना यह दर्शाता है कि एबीवीपी हमेशा सभी छात्रों की समस्याओं के निदान के लिए सदैव तत्पर रही है।”
– अपराजिता, सचिव (एबीवीपी), ”एबीवीपी महिला संबंधित मुद्दों को मुखरता से उठा रही है और लगातार विश्वविद्यालय परिसरों में छात्राओं के लिए कार्य कर रही है।”
– सचिन बैसला, संयुक्त-सचिव (एबीवीपी), ”नए हॉस्टलों का निर्माण और अन्य मुद्दों पर जल्द काम करेंगे। इस जीत से छात्रों के लिए कार्य करने को हमेशा समर्पित रहूंगा।”
महिलाओं और हॉस्टल से जुड़े मुद्दे हावी रहे
डीयू के छात्रसंघ चुनाव में इस बार महिलाओं से जुड़े मुद्दे हावी रहे। इसके अलावा छात्रावास की सुविधा, किफायती दरों पर मेस का भोजन भी मुद्दों में शामिल रहा। एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ही छात्र संगठनों ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं के मुद्दों को प्रमुखता से जगह दी है। इन घोषणा पत्रों को जारी करने से पहले दोनों ही संगठनों ने छात्रों से सुझाव मांगे थे। केंद्र और ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए विशेष स्कॉलरशिप की घोषणा की थी। एबीवीपी ने तनावमुक्त डीयू बनाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में माइंडफुलनेस सेंटर की स्थापना, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए छात्रवृत्ति, कॉरपोरेट कनेक्ट सेंटर से बेहतर रोजगार के अवसर एवं छात्र समुदायों के समग्र एवं सर्वांगीण विकास के चिंतन को घोषणापत्र में समाहित किया था। महिला सुरक्षा, सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की स्थापना एवं महिला संबंधित मुद्दों पर विशेष बल दिया था।
वहीं, एनएसयूआई ने प्रति सेमेस्टर महावारी के दौरान 12 दिन के अवकाश की घोषणा की थी। एनएसयूआई ने अपने घोषणा पत्र में यौन हिंसा के प्रति जीरो टॉलरेंस, कॉलेज परिसर के बाहर पुलिस की गश्त बढ़ाना शामिल किया था।
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