नई दिल्ली (New Delhi) । भाजपा (BJP) नए संसद भवन (New Parliament House) के शुभारंभ आयोजन में शामिल हुए विपक्षी दलों (opposition parties) के साथ अपने रिश्तों को नई मजबूती देगी। आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) को देखते हुए इन दलों का खासा महत्व है। हालांकि, इनमें अधिकांश वे दल हैं जिनके साथ भाजपा के पहले सहयोगी के रिश्ते रह चुके हैं। भाजपा की कोशिश इन दलों को धुर भाजपा विरोधी खेमे से दूर रखना और आने वाले समय में भाजपा के साथ सहयोग की गुंजाइश बनाए रखना है। हालांकि, अभी भाजपा को उनके खिलाफ चुनाव मैदान में भी जाना है।
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता की एक बड़ी मिसाल उस समय सामने आई जबकि नए संसद भवन के उद्घाटन मौके पर तमाम दलों ने समारोह का बहिष्कार किया। इसके बावजूद वाईएसआरसीपी, तेलुगुदेशम, अकाली दल, बीजद, बसपा एवं आरएलजीपी समारोह में शामिल हुए। इन दलों की अपने-अपने राज्यों में ताकत और सामाजिक समर्थन काफी महत्वपूर्ण हैं।
आंध्र प्रदेश की समूची राजनीति दोनों प्रमुख दल वाईएसआरसीपी और तेलुगुदेशम के आसपास है। यहां की 25 लोकसभा सीटें इन्हीं दोनों दलों के पास है। अकाली दल अब भाजपा के साथ नहीं है, लेकिन पंजाब की 13 सीटों पर वह काफी प्रभावी है। बीजद ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों पर प्रभावी है तो बसपा का उत्तर प्रदेश में जनाधार है।
बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान) का अपना सामाजिक आधार है। ऐसे में ये दल लगभग 75 लोकसभा सीटों को प्रभावित करते हैं। इनके प्रमुख विपक्षी खेमे से दूरी भाजपा के लिए राजनीतिक दृष्टि से भी मुफीद है। वैसे भी वाईएसआरसीपी और बसपा को छोड़कर बाकी दल पूर्व में एनडीए के हिस्सा रह चुके हैं।
अगले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और उसके साथ खड़े विपक्षी दलों को देखते हुए भाजपा भी अपने राजग के साथ इन दलों को साध कर रखेगी, ताकि आड़े वक्त में उसे जरूरी समर्थन मिल सके। दूसरी तरफ भाजपा के खिलाफ विपक्ष को बड़े पैमाने पर लामबंद करने की कोशिशें भी इन दलों की दूरी से पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाएंगी।
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