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भाजपा की यात्राओं से बढे़गा प्रदेश में राजनीतिक तापमान

– मृत्युंजय दीक्षित

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसके पहले सरगर्मी शुरू हो गई है। साल 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुए, उस समय केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बन चुकी थी। तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी और उसके पहले की बहुजन समाजवादी सरकारों के खिलाफ जनमानस में आक्रोश उबल रहा था। उसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला था लेकिन अब भाजपा सरकार का कार्यकाल पूरा हो चुका है और बीजेपी अपने दूसरे कार्यकाल के लिए जनता से आशीर्वाद मांगने निकली है।

चुनावी बिगुल बजने के पहले भारतीय जनता पार्टी छह यात्राएं निकालने जा रही है। इसके माध्यम से केंद्र और प्रदेश सरकार की विकास गाथा सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचेगी। इन यात्राओं का समापन पिछली बार की तरह लखनऊ में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक जनसभा को संबोधित करेंगे। यात्राओं के कार्यक्रम तय करने के लिए आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इन यात्राओं के माध्यम से भाजपा केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर जायेगी। वर्ष 2017 के चुनाव से पहले जब यात्रा निकाली थी तब हमने पूर्ववर्ती सरकार की खामियों को जनता के बीच उजागर किया जबकि इस बार हम अपनी उपलब्धियां बताने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए जनता के बीच जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से चली आ रही परिवारवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद मत और मजहब के दायरे में कैद होकर चली आ रही राजनीति को प्रधानमंत्री ने बदला है।

भाजपा नेताओं को विश्वास है कि अयोध्या, मथुरा और काशी में चल रहे विकास कार्यक्रमों तथा कोरोना काल में जिस प्रकार से बीजेपी व संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा का कार्य किया, उससे प्रदेश की जनता एक बार फिर भाजपा को तीन सौ सीटों के साथ बहुमत देकर अपना आशीर्वाद देगी। यह बात बिल्कुल सही है कि विगत पांच वर्षो में सरकार ने नये भारत की स्थापना के लिए जिस अभियान को आगे बढ़ाया है, आज वह प्रत्येक नागरिक की जुबान पर सुनाई देता है। एक समय था जब प्रदेश के विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी से पूछा करते थे कि “राम लला हम आयेंगे, मंदिर कब बनायेंगे?” यह सवाल उठाने वाले आज सभी लोग अयोध्या जाकर प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना शीश नवाकर चुनाव प्रचार का श्रीगणेश कर रहे हैं। यह प्रदेश में हिंदुत्व की एक बड़ी विजय है। आज अयोध्या ,मथुरा, काशी सहित हिंदू समाज के सभी मंदिरों व तीर्थस्थलों का विकास हो रहा है। दिसम्बर माह के दूसरे पखवारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उदघाटन करने वाले हैं। काशी में बीजेपी का महामंथन भी होने जा रहा है । काशी में होने जा रहा समारोह बहुत ही भव्य होगा जिसका सीधा प्रसारण भी किया जायेगा।

योगी सरकार ने मथुरा- वृंदावन का भी विकास करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। मथुरा- वृंदावन को नगर निगम घोषित करने के बाद वहां पर मांस- मदिरा की बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया । अवैध बूचड़खाने बंद किये गये । अयोध्या से चित्रकूट तक भव्य दीपोत्सव मनाकर भगवान राम से जुड़े सभी तीर्थस्थलों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित किया जा रहा है। योगी सरकार में ही दिव्य और भव्य कुंभ का आयोजन हुआ ।

भाजपा लगातार सिद्ध कर रही है कि प्रदेश में योगी सरकार ही हिंदू धर्म व सनातन संस्कृति की रक्षा करने में समर्थ है। दूसरी ओर, सलमान खुर्शीद सरीखे नेता हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस व बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों से कर रहे हैं।

इसी बीच भाजपा की चुनावी तैयारियों के बीच प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर राजनीतिक सनसनी मचा दी है। जिस दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या दौरे पर जाना था, ठीक उसी दिन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर लिखा,“ अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है।” इसके आगे उन्होंने लिखा जयश्रीराम जय शिव शम्भू जय श्री राधे कृष्ण। बस फिर क्या था , उसके बाद सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों पर बहसें शुरू हो गयीं और हल्ला मच गया।

उपमुख्मंत्री के ट्वीट के बाद सभी हिंदू प्रेमी एक बार फिर मैदान में उतर पड़े हैं। सभी दलों की ओर से कहा गया कि विधानसभा चुनावों में कडा़ मुकाबला झेल रही भाजपा ने अब सांप्रदायिक राजनीति के ध्रुवीकरण का खेल खेलना शुरू कर दिया है। सच यह है कि मथुरा में भी अयोध्या की तरह विवादित स्थल से शाही ईदगाह को हटाने की मांग की जा रही है । ईदगाह को हटाये जाने की मांग को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति ,नारायणी सेना नामक कई संगठनों एवं कुछ लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण का अनुयायी बताते हुए मथुरा की जिला एवं सिविल जज (सीनियर डीविजन) की अदालत में वाद दाखिल किये गये हैं। ये वाद विचाराधीन हैं और उन पर सुनवाई चल रही है। मुकदमे में शामिल सभी हिंदू पक्षकारों को पूरा यकीन है कि अदालत में उनका पक्ष पूरी तरह से मजबूत है और मथुरा का फैसला भी अयोध्या की तर्ज पर उनके पक्ष में ही आयेगा।

उपमुख्यमंत्री का यह टवीट इसलिए भी चर्चा का विषय बन गया क्योंकि आगामी छह दिसम्बर को श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में घुसकर श्रीकृष्ण के बाल विग्रह पर जलाभिषेक किये जाने की घोषणा की गयी है। मथुरा में धारा 144 लगा दी गयी है । भाजपा के एक और विधायक का बयान आ गया कि अब मथुरा भी आजाद होगा। कई संगठनो से बातचीत चल रही है और मुस्लिम समाज के लोग वहां से ईदगाह हटा कर अपना बड़प्पन दिखायें। इस पर विपक्षी दलों के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी नेताओं के ये बयान एक सुनियोजित साजिश हैं। बीजेपी ने साढे़ चार वर्ष विकास का कोई काम नहीं किया। इसलिये अब मथुरा का मुददा उठा लिया है।

राजनीतिक विष्लेषकों के अनुसार, भाजपा का यह बयान सधी हुई राजनीति के तहत दिया गया है। किसान आंदोलन के कारण बीजेपी को पश्चिम उत्तर प्रदेश में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था। कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब वह मामला ठंडा पड़ता जा रहा है। रणनीतिकारों का अनुमान है कि चुनाव आते आते किसान आंदोलन पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान गृहमंत्री अमित शाह को दी गयी है। इसके पहले मुख्यमंत्री योगी मुजफ्फरनगर के दंगों और पलायन का मुददा जोर -शोर से उठा चुके हैं। मथुरा पर उपमुख्यमंत्री की ओर से दिया गया बयान एक बहुत बड़ी राजनीतिक सोच व ध्रुवीकरण कराने के लिए ही दिया गया है। कहा जा रहा है कि अभी तक विपक्षी दल जिन्ना का महिमामंडन कर रहे थे और देशविभाजन कराने के लिए भाजपा को जिम्मेदार बता रहे थे। आज मथुरा पर जो लोग भाजपा को घेर रहे हैं, वही लोग कभी प्रभु राम का अस्तित्व ही नकार चुके हैं। आरोप लग रहे हैं कि सपा ,बसपा,कांग्रेस, आप सहित भाजपा को हराने का सपना देखने वाले लोग हिंदू धर्म व सनातन संस्कृति के प्रति कभी उदार हो ही नहीं सकते।

सपा- बसपा की सरकारों में और पहले भी कोई भी कथित सेकुलर मुख्यमंत्री अयोध्या, मथुरा व काशी नहीं जाता था। इसके विपरीत बीजेपी एक बार फिर यात्राओं व हिंदू धर्म की आस्था के केंद्रों व प्रतीकों के सहारे जनता का अशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकली है। उसे पूरा विश्वास है कि वह जनप्रिय योजनाओं के माध्यम से भी तीन सौ सीटों का लक्ष्य हासिल कर लेगी। त्रिपुरा और गुजरात के नगर निकायों के चुनाव परिणाम जिस प्रकार से आये हैं, उससे भी भाजपा में एक नया उत्साह जगा है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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