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कैट ने की लॉट्स के मेट्रो कैश एंड कैरी ख़रीद सौदे को रोकने की मांग

-कारोबारी संगठन कैट ने थाइलैंड की कंपनी पर नियम तोड़ने का लगाया अरोप

नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने लॉट्स द्वारा मेट्रो कैश एंड कैरी ख़रीद सौदे (Metro Cash & Carry Buying Deals) को रोकने की मांग की है। कैट ने थाइलैंड (Thailand) के सियाम मैक्रो पब्लिक लिमिटेड कंपनी (Siam Macro Public Limited Company) के स्वामित्व वाले लॉट्स होल्सेल सॉल्यूशंस के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है। कैट ने इसको लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा है।

कारोबारी संगठन ने मंगलवार को वाणिज्य एवं उदयोग मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में सियाम मैक्रो पब्लिक कंपनी लिमिटेड के स्वामित्व वाले लॉट्स होल्सेल पर एफडीआई और फेमा से संबंधित कानूनों और जीएसटी कानून के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं। सियाम मैक्रो थाईलैंड के सीपी समूह की एक कंपनी है, जो भारत में मेट्रो कैश एंड कैरी खरीदने की कोशिश कर रहा है।


कारोबारी संगठन कैट ने लॉट्स एवं मेट्रो द्वारा कैश एंड कैरी व्यवसाय की आड़ में बीटूसी व्यवसाय को खुले तौर पर संचालित करने को फेमा और जीएसटी कानूनों का पूर्ण उल्लंघन बताया है। कैट ने सरकार से इस कानून का उल्लंघन करने वाले मामले पर तत्काल संज्ञान लेने और मौजूदा कानून के मुताबिक लॉट्स के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि इन बड़ी वैश्विक कंपनियों की अवैध प्रथाओं की वजह से लाखों छोटी किराना दुकानें बंद हो गई हैं, जो सीमित संसाधनों के साथ संगठित अवैध मल्टी-ब्रांड खुदरा व्यापार से नहीं लड़ सकती हैं। लॉट्स जैसी कंपनियां कैपिटल डंपिंग और प्रीडेटरी प्राइसिंग पर आधारित हैं। यह अत्यंत खेदजनक है कि सियाम मैक्रो सुधारात्मक कार्रवाई करने के बजाय, मेट्रो एजी को खरीदने की योजना बना रहा है, जो पिछले कई वर्षों से एफडीआई नीति और फेमा के पूर्ण उल्लंघन पर निर्मित व्यवसाय को बेचकर भारत से बाहर निकलने की कोशिश में है।

खंडेलवाल ने कहा कि इस तरह सियाम मैक्रो, जो खुद कानून का एक बड़ा उल्लंघनकर्ता है, एक अन्य विदेशी कंपनी को देश से बाहर निकलने का रास्ता प्रदान करेगा, जिसने अपने अवैध व्यवसाय के आधार पर और छोटे व्यापारियों और किराना दुकानों की कीमत पर अपना मूल्यांकन अर्जित किया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को इस मामले की जांच करानी चाहिए। साथ ही सियाम मैक्रो को बिक्री के माध्यम से मेट्रो एजी को होने वाले अवैध लाभ रोकना चाहिए। सरकार को इन विदेशी कंपनियों को भारत को हल्के में लेने से रोकना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि मेट्रो इंडिया साल 2003 में भारत में कैश एंड कैरी यानी थोक प्रारूप शुरू करने वाला पहला खिलाड़ी था, जो अब 6,700 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक राजस्व और बड़ा मुनाफा कमाने वाले 31 स्टोरों का एक नेटवर्क संचालित करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेट्रो-जर्मनी भारत के कारोबार को बेचने और भारत में अपने निवेश पर 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाना चाहता है। वहीं, थाईलैंड के सीपी ग्रुप जो भारत में बहुत सारे थोक समाधानों का मालिक है, मेट्रो इंडिया को खरीदने की योजना बना रहा है। (एजेंसी, हि.स.)

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