भोपाल। प्रदेश के बहुचर्चित हनीटै्रप कांड की जांच अब सीबीआई को नहीं जाएगी। मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इसको लेकर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट में याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ऐसे तथ्य पेश नहीं कर पाए, जिसके आधार पर हनीट्रैप कांड की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की बेंच ने एसआईटी को निर्देश दिए हैं कि अभी तक जांच में जिन आरोपियों के नाम सामने आए हैं, उनकी गिरफ्तारी की जाए। कोई ने माना की एसआईटी की जांच से कोर्ट संतुष्ट है। कोर्ट के इस फैसले से हनीट्रैप कांड में फंसे रसूखदारों को बड़ी राहत मिली है। क्योंकि एसआईटी अभी तक एक भी रसूखदार को हनीट्रैप मामले में गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
हाईकोर्ट ने सुशांत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी आधार बनाया है। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी की जांच में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी इस मामले में कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। जांच के लिए बनी एसआईटी पर हाई कोर्ट सुपरविजन कर रहा है। एसआईटी की जांच से कोर्ट संतुष्ट है। यह ऐसा मामला नहीं, जिसे सीबीआई को सौंपा जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट मनोहर दलाल, लोकेंद्र जोशी, निधि बोहराए धर्मेंद्र चेलावत ने पैरवी की थी। एसआईटी की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरवए शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्य मित्र भार्गव ने पक्ष रखा। हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आधा सैकड़ा रसूखदारों के नाम चर्चा में
हनीट्रैप कांड में प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा रसूखदार चर्चा में है। हाईकोर्ट के फैसले से इन्हें बड़ी राहत मिल गई है। क्योंकि सीबीआई को लेकर रसूखदारों की धड़कनें बढ़ी हुई थीं। बताया गया कि जांच में आधा सैकड़ा करीब नौकरशाह एवं अन्य रसूखदार हैं। यदि जांच रिपोर्ट उजागर हुई तो सभी के नाम सामने आ सकते हैं। हनीट्रैप में फंसे लोगों के नाम स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) की जांच में सामने आए हैं।
कई रसूखदारों के नाम
हनीट्रैप मामले की जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कई नौकरशाह समेत अन्य रसूखदारों के नाम हैं। उनमें प्रदेश के एक पूर्व शीर्ष अफसर, दो रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य सचिव, एक प्रमुख सचिव, एक मौजूदा अतिरिक्त प्रमुख सचिव एवं एक सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। अब तक कि जांच में किसी भी आइपीएस अधिकारी का नाम सामने नहीं आया है, जबकि एक पूर्व मंत्री के आरोपितों से करीबी रिश्ते सामने आए हैं।
जांच पर उठ रहे हैं सवाल
हनीट्रैप मामले में मप्र पुलिस पर रसूखदारों को बचाने का आरोप लगाते हुए मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस पर इंदौर हाई कोर्ट ने मामले की जांच कर रही एसआइटी से स्टेटस रिपोर्ट के साथ ही अब तक कि जांच में सामने आए नामों की सूची मांगी थी। एसआइटी ने तीन बंद लिफाफे में नामों की सूची समेत स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी है। सुनवाई के दौरान एसआइटी चीफ राजेन्द्र कुमार भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित हुए थे।
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