टेक्‍नोलॉजी

लोगों को प्रभावित कर रहा चैट जीपीटी, जानिए क्‍या है यह टेक्‍नोलॉजी…जिसे माना जा रहा है दूसरा गूगल

नई दिल्ली(New Delhi) । अगर आप देश दुनिया की जानकारी रखने में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको पता होगा कि Chat GPT का आगमन हो चुका है। यह एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल है। जिसे दूसरा गूगल माना जा रहा है। तकनीकि क्षेत्र में जानकारी रखने वाले युवा और एक्सपर्ट्स लगातार सोशल साइट्स पर आजकल इसी की चर्चा कर रहे हैं। दरअसल आप इसका इस्तेमाल नि:शुल्क कर सकते हैं इसमें 2021 से पहले तक का ही डेटा फीड है। जो लोग इसे गूगल का रिप्लेसमेंट मान रहे हैं यह अभी संभव नहीं है।

चैप जीपीटी को जानने की लोगों में बहुत उत्सुकता है तो आइये जानते हैं क्या है चैट जीपीटी। ये एक जनरेटिव प्री ट्रेन ट्रांसफॉर्मर भाषा मॉडल है। जिसे ओपन एआई ने विकसित किया है। जो सर्च बॉक्स में लिखे गए शब्दों को समझकर आर्टिकल, टेबल, समाचार लेख, कविता जैसे फॉर्मेट में जवाब दे सकता है। हालांकि जब आप इसका इस्तेमाल करें तो व्याकरण ठीक कर लें। इसके द्वारा दी गई जानकारी पूरी तरह सही है इसको भी रीचेक करने की जरूरत होती है।


कैसे हुआ चैट जीपीटी का विकास
चैट जीपीटी ओपन एआई द्वारा विकसित नैचुरल लैंग्गुएज प्रोसेसिंग मॉडल है। इसे पहली बार 2018 में एक शोध में प्रकाशित किया गया था। इसका निर्माण प्रश्न उत्तर, भाषा अनुवाद और पैराग्राफ निर्माण आदि के लिए किया गया था। चैट जीपीटी के फाउंडर की बात करें तो सैम अल्टमैन और एलन मस्क ने 2015 में इसकी शुरूआत की थी। शुरूआती सालों में ही एलन मस्क ने इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया था। जिसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने इसमें इनवेस्ट किया है और 30 नवम्बर 2022 को एक प्रोटोटाइप के तौर पर इसे लांच किया।

क्या चैट जीपीटी से लोगों का करिअर प्रभावित हो रहा है
चैट जीपीटी के आने से लोग बहुत सारे सवाल चैट जीपीटी से करने लगे हैं। चैट जीपीटी उनका अपने फीड डेटा के अनुसार जवाब दे रहा है। जिससे लोगों को फायदा हो रहा है लेकिन इससे लोगों का करिअर प्रभावित नहीं होगा। ये माना जा सकता है कि एआई सिस्टम कुछ कार्य मानव मस्तिष्क से उच्च क्षमता में कर सकता है लेकिन मनुष्यों के समान समझ और रचनात्मक स्तर इस टूल के पास नहीं हैं।

चैट जीपीटी के नुकसान
ये एक लर्निंग मॉडल की तरह है ये सिर्फ उतनाही जवाब दे सकता है जितना इसके अंदर डेटा फीड है। या जिस डेटा पर इसे प्रशिक्षित किया गया है। अगर प्रशिक्षित किए गए डेटा में पूर्वाग्रह हैं तो वह संबंधित सवाल के जवाब में भी दर्शाए जा सकते हैं। इसीलिए मानव मस्तिष्क जितनी समझ इसमें नहीं है। अगर आप इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो संबंधित कंटेंट को जांच कर ही इस्तेमाल करें।

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