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छगन भुजबल ने बताया क्यों लिया ‘बगावत’ का फैसला, अजित पवार के साथ 42 से 43 विधायक

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने पार्टी के हालिया घटनाक्रम पर कहा कि गुरुवार को कहा कि अयोग्यता से बचने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद ही यह सब हुआ है. शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित राकांपा में रविवार को विभाजन हो गया और अजित पवार 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हो गए.

यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भुजबल ने यह भी कहा कि अजित पवार और अन्य नेता इस बात पर फैसला करेंगे कि पोस्टरों पर शरद पवार की तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाए या नहीं. शरद पवार द्वारा यह कहने के बाद भी कि उनकी तस्वीर का उपयोग केवल उनकी अनुमति से और समान विचारधारा वाले लोगों द्वारा किया जाना चाहिए, अजित पवार गुट की बुधवार को हुई बैठक में मंच पर लगे एक पोस्टर पर पार्टी सुप्रीमो की तस्वीर दिखाई दी थी.


भुजबल ने कहा कि एनसीपी के 42 से 43 विधायकों ने अजित पवार के समर्थन में हलफनामे पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने कहा, ‘जब अजित पवार के नेतृत्व में सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया गया, तो कानून विशेषज्ञों से सलाह ली गई और उसके बाद फैसला लिया गया.’ भुजबल ने कहा, ‘दो-चार विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद अयोग्यता से बचने के लिए कदम उठाए गए.’

उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने से पहले पार्टी के संविधान और चुनावी नियमों का पालन किया गया. भुजबल ने कहा, ‘हमने पहले शरद पवार को सुझाव दिया था कि उनकी बेटी को एनसीपी का अध्यक्ष बनाया जाए और अजित पवार को महाराष्ट्र संभालने की अनुमति दी जाए.’

बीते 2 जुलाई को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. अजित पवार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल के साथ असली एनसीपी होने का दावा किया. शरद पवार ने भी असली एनसीपी होने का दावा किया और पटेल तथा लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को भी पत्र लिखकर रविवार को मंत्री पद की शपथ लेने वाले नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है.

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