देश मध्‍यप्रदेश

मध्य प्रदेश में लागू हुई मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना

– कैबिनेट की मंजूरी के दो दिन बाद ऑन द जॉब ट्रेनिंग की सुविधा देने वाली योजना का आदेश जारी
– युवाओं को नई उड़ान देगी मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना : मुख्यमंत्री शिवराज

भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) द्वारा गत 17 मई को विशेष कैबिनट बैठक (special cabinet meeting) में युवाओं के भविष्य को सँवारने वाली मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना (Chief Minister’s Learn-Earn Scheme) को मंजूरी देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। राज्य शासन ने दो दिन में ही शुक्रवार को आदेश जारी कर प्रदेश में इस योजना को लागू कर दिया है। योजना में युवाओं के पंजीयन के बाद विभिन्न प्रतिष्ठानों में उन्हें हुनर सीखने की अवधि में आर्थिक सहायता के रूप में 8 से 10 हजार रुपये तक स्टाइपेंड उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य सरकार इस योजना में प्रतिष्ठानों से अनुबंध भी करेगी।


मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि युवाओं को नई उड़ान देने के लिये प्रदेश में ऑन द जॉब ट्रेनिंग की सुविधा देते हुए मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना लागू की गई है। योजना में कम से कम एक लाख युवाओं को प्रतिष्ठानों में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी, 18 से 29 वर्ष के युवा, जिनकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं अथवा आईटीआई या उच्च है, वे योजना में पात्र होंगे। चयनित युवाओं को छात्र प्रशिक्षणार्थी कहा जायेगा। प्रशिक्षण के बाद मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड (MPSSDEGB) द्वारा स्टेट कॉउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (SCVT) का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। युवाओं को प्रशिक्षण के साथ स्टाइपेंड मिलेगा, कौशल उन्नयन से उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आमदनी का बेहतर मार्ग प्रशस्त होगा।

योजना से देश और प्रदेश के प्रतिष्ठित औद्योगिक तथा निजी संस्थानों को जोड़ा जाएगा। प्रतिष्ठान के पास पेन नंबर और जीएसटी पंजीयन होना आवश्यक होगा। प्रतिष्ठान अपने कुल कार्यबल के 15 प्रतिशत की संख्या तक छात्र प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे सकेंगे। योजना में 12वीं या उससे कम कक्षा में उत्तीर्ण प्रशिक्षणार्थियों को 8 हजार रुपये, आईटीआई उत्तीर्ण को 8 हजार 500 रुपये, डिप्लोमा उत्तीर्ण को 9 हजार रुपये और स्नातक उत्तीर्ण या उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जाएगा। स्टाइपेंड की 75 प्रतिशत राशि राज्य शासन की ओर से प्रशिक्षणार्थी को डीबीटी से भुगतान की जायेगी। संबंधित प्रतिष्ठान को निर्धारित न्यूनतम स्टाइपेंड की 25 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थी के बैंक खाते में जमा करानी होगी।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति द्वारा योजना का संचालन किया जाएगा। कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव समिति के सदस्य सचिव होंगे। वित्त, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम उद्यम, श्रम, उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव समिति के सदस्य होंगे।

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