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भारत को भीतर से कमजोर करने चीन कर रहा कई क्षेत्रों में निवेश, रिपोर्ट से खुलासा

नई दिल्ली। चीन(China) कई मोर्चे पर भारत(India) के लिए खतरे पैदा कर रहा है। एक भारतीय थिंक टैंक ने अध्ययन में दावा किया है कि चीन (China)एक रणनीति के तहत भारत(India) में कई क्षेत्रों में दखल बढ़ा (china Increasing interference) रहा है। यह क्षेत्र फिल्म, विश्वविद्यालय, सामाजिक संस्थान, सोशल मीडिया, थिंक टैंक एवं तकनीकी उद्योग हैं। हाल के वर्षों में एक नपी-तुली रणनीति के तहत चीन का दखल बढ़ा है।
लॉ एंड सोसायटी एलायंस (Law and Society Alliance) की तरफ से जारी 76 पृष्ठ की एक रिपोर्ट ‘मैपिंग चाइनीज फुटप्रिंट एंड इंफ्लूएंस ऑपरेशन इन इंडिया’ (Mapping Chinese Footprint and Influence Operation in India) में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट विगत तीन सितंबर को जारी की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने रणनीतिक क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ाया है, जिसके पीछे बीजिंग का गुप्त एजेंडा है। वह आम भारतीय या मतदाता की राय को एक खास आकार देना चाहता है। आलम यह है कि चीन चीन फिल्म उद्योग से लेकर तमाम क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ा रहा है। फिल्म उद्योग की बात करें तो चीनी कंपनियां सह प्रोडक्शन के रूप में कार्य कर रही हैं। चाइना-इंडिया को प्रोडक्शन डॉयलाग को इसी रूप में देखा जा रहा है। इसी प्रकार बीजिंग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टविल 2019 के आयोजन के पीछे भी चीनी एजेंडा साफ नजर आ रहा है। वह बॉलीवुड में अपना दखल बढ़ा रहा है।



रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक लॉबी ग्रुप बनाया है, जिसका प्रमुख एक भारतीय लाबियिस्ट है। यह विशेष तौर पर फिल्म क्षेत्र के लिए कार्य कर रहा है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि फिल्म रेगुलेटरीज बॉडी में ऐसे लोगों को बिठाने में कामयाब रहा है, जो उसके हितों की रक्षा कर सकें। रॉकस्टार जैसी फिल्मों और उसके गानों में फ्री तिब्बत मुद्दे को हतोत्साहित करने की रणनीति से यह स्पष्ट हो जाता है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की तरफ से कई भारतीय थिंक टैंक को चंदे के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। वह बुद्धिजीवियों के बीच अपनी जगह कायम कर रहा है। इसी प्रकार भारतीय विश्वविद्यालयों में भी चीनी हस्तक्षेप बढ़ रहा है। एक विश्वविद्यालय के भारत-चीन संबंधों पर कोर्स पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं। चीन के शैक्षिक संस्थानों का भी दखल भारत में बढ़ रहा है। दर्जनों भारतीय संस्थानों के साथ वे स्थापित हो रहे हैं। इसके चलते कई भारतीय संस्थान चीन के अनुकल दृष्टिकोण अपना रहे हैं। इसके अलावा चीनी दूतावास भारतीय शैक्षिक जगत में अपनी पैठ बना रहा है।

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