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ब्लैक और वाइट फंगस के बाद अब CMV इन्‍फेक्‍शन का खतरा, ऐसे आए 5 मरीज

नई दिल्ली । पोस्ट कोविड मरीजों (post covid patients) को कई तरह की दूसरी बीमारियां और संक्रमण हो रहे हैं, जिसमें ब्लैक फंगस व वाइट फंगस (black fungus and white fungus) सबसे ज्यादा है। अब कोविड के बाद मरीजों में साइटोमेगालो वायरस (CMV) का भी संक्रमण देखा जा रहा है और इसकी वजह से मरीजों के स्टूल के रास्ते में ब्लीडिंग हो रही है। ऐसे पांच मरीज इलाज के लिए सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) पहुंचे, जिसमें एक की मौत हो गई, एक की सर्जरी की गई और तीन को एंटीवायरल थेरेपी की मदद से इलाज दिया गया। देश में पहली बार पोस्ट कोविड मरीजों में यह संक्रमण देखा जा रहा है।


किन लोगों को है ज्‍यादा खतरा?
दरअसल, जब किसी का इम्यून सिस्टम कमजोर (Weak Immune Sysytem) हो जाता है तो कई ऐसे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है, जो अमूमन नहीं होते हैं। गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉक्टर अनिल अरोड़ा ने कहा कि कई ऐसे वायरस हैं जो शरीर में होते हैं या वातावरण में मौजूद हैं, लेकिन उनका असर नहीं होता है क्योंकि शरीर की इम्यून क्षमता इसे रोकने में सफल रहती है। यह बीमारी उन्हें होती है जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।

देश के 90% लोगों में है यह वायरस
डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि पोस्ट कोविड वाले ऐसे पांच मरीज इलाज के लिए गंगाराम अस्पताल (Gangaram Hospital, Delhi) पहुंचे। किसी भी मरीज का ट्रांसप्लांट नहीं हुआ था, कैंसर (Cancer) या एड्स (Aids) जैसी बीमारी नहीं थी कि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो। लेकिन, इसके बाद भी इन्हें सीएमवी (CMV) का संक्रमण हो गया, क्योंकि ये सभी पोस्ट कोविड के दौर से गुजर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में 80 से 90 पर्सेंट लोगों में यह वायरस शरीर में होगा, लेकिन नुकसान नहीं पहुंचा सकता। उन्होंने कहा कि हमें पहले पता नहीं था कि स्टूल के रास्ते में संक्रमण की क्या वजह है, जब बायोप्सी की गई तो इन मरीजों में सीएमवी (CMV) का संक्रमण मिला।

घबराएं नहीं, CMV का इलाज है संभव
डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि पोस्ट कोविड ब्लैक फंगस और वाइट फंगस के बारे में लोग जागरूक हो गए हैं, लेकिन सीएमवी के बारे में अभी नहीं जानते हैं। इसलिए अगर किसी मरीज में इस तरह की ब्लीडिंग की समस्या हो तो उसे तुरंत अस्पताल लेकर आएं। इसका पूरा इलाज संभव है, एंटीवायरल थेरेपी है। उन्होंने कहा कि जो पांच मरीज इलाज के लिए आए थे, उनकी उम्र 30 से 70 साल के बीच थी।

पांच में से चार के स्टूल में ब्लीडिंग की परेशानी और एक को आंत में रुकावट की दिक्कत थी। इसमें से दो मरीज को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही थी, जिसमें एक की दाहिने कोलोन की इमरजेंसी में सर्जरी करनी पड़ी और एक मरीज की पोस्ट कोविड की वजह से इलाज के दौरान मौत हो गई। बाकी तीन का एंटीवायल थेरेपी से इलाज किया गया और वे ठीक हो गए।

इस बारे में पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनीला जैन ने कहा कि इसकी पुष्टि के लिए पीसीआर टेस्ट और बड़ी आंत की बायोप्सी की गई, जिसमें इसकी पुष्टि हुई। वहीं डॉक्टर प्रवीण शर्मा ने कहा कि ऐसे मामलों में शुरू में इलाज और प्रभावी एंटीवायरल थेरेपी से इलाज संभव है और जान बचाई जा सकती है।

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