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सर्द हवाओं के दखल से फिर ठिठुरने लगा मध्‍यप्रदेश, जानिए क्यों गिरने लगा तापमान

भोपाल । पश्चिमी विक्षोभ के पूर्व की तरफ बढ़ जाने के कारण हवाओं का रुख एक बार फिर उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी हो गया है। इससे उत्तर भारत से आने वाली सर्द हवाओं से राजधानी सहित प्रदेश में एक बार फिर सिहरन बढ़ गई है। मंगलवार को प्रदेश में सबसे कम आठ डिग्री तापमान उमरिया और नौगांव में दर्ज किया गया। राजधानी भोपाल में न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ, जो सामान्य से एक डिग्री कम रहा।

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक पांच दिसंबर तक न्यूनतम तापमान सामान्य से कम बने रहने की संभावना है। इसके बाद एक बार फिर तापमान में बढ़ोतरी होने के आसार हैं। मौसम के मिजाज में एक बार फिर बदलाव देखने का मिल रहा है। शाम ढलने के बाद वातावरण में सिहरन बढऩे लगती है।

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अजय शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में एक गहरा कम दबाव का क्षेत्र मौजूद है। इसके बुधवार को चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होकर श्रीलंका के तट से टकराने की संभावना है। यह सिस्टम काफी दूर है। इस वजह से इसकी वजह से मध्यप्रदेश के मौसम के प्रभावित होने के आसार कम हैं, लेकिन एक पश्चिमी विक्षोभ के चार दिसंबर को उत्तर भारत में पहुंचने की संभावना है। उसके प्रभाव से हवा का रुख फिर बदलेगा। इससे पांच दिसंबर के बाद राजधानी सहित प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी होने लगेगी।

ग्वालियर में ठंड से राहत नहीं
वहीं ग्वालियर में न्यूनतम तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस का उछाल आ गया, लेकिन इस उछाल से कंपाने वाली ठंड से राहत नहीं दी। सुबह साढे आठ बजे तक कंपाने वाली ठंड का अहसास होता रहा है। जब थोड़ी धूप तेज हुई, तब जाकर ठंड से राहत मिली। न्यूनतम तापमान सामान्य से 0.2 डिसे कम रहा। मौसम विभाग ने अधिकतम तापमान स्थिर रहने के आसार जताए हैं।

क्यों गिरने लगा तापमान
मौसम विभाग के अनुसार पिछले दिनों हरियाणा और उससे लगे पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर एक ऊपरी हवा का चक्रवात बन गया था। इसके अतिरिक्त एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा था। इस वजह से हवा का रुख पूर्वी होने लगा था। इससे दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी होने लगी थी। हाल ही में पश्चिमी विक्षोभ आगे बढक़र काफी ऊंचाई से उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ आगे बढ़ गया। काफी कम तीव्रता वाले पश्चिमी विक्षोभ के आगे बढ़ते ही हरियाणा पर बना सिस्टम भी समाप्त हो गया है। इससे हवाओं का रुख एक बार फिर उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी होने लगा है। उत्तर भारत की तरफ से आ रही सर्द हवाओं के कारण तापमान में गिरावट होने लगी है। इससे ठंड का असर बढऩे लगा है।

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