– डॉ. मयंक चतुर्वेदी
झारखंड में पिछले कुछ सालों से लगातार एक दिशा में कई घटनाएंं घट रही हैं। इनका कुल उद्देश्य हिन्दू समाज एवं स्थानीय जनजाति समाज को लक्षित करना है। हाल में घटी तीन घटनाएंं ऐसी हैं जो यह बता रही हैं कि इस राज्य के संचालन के लिए संविधान की शपथ लेनेवाले लोग सरकार में बैठते ही सांप्रदायिक होकर निर्णय ले रहे हैं । झारखंड में जिस हिंदू लड़की को शाहरुख की लगाई आग ने जलाकर मार दिया, उसके घावों पर लगाने के लिए सरकारी अस्पताल में मरहम तक नहीं था। उसकी पहली ड्रेसिंग भी 28 घंटे बाद हुई। दूसरी घटना यहां यह प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि कैसे राज्य की हेमंत सरकार हिन्दू और मुसलमानों के बीच भेद करती है। सरकार रांची उपद्रव के दौरान पत्थरबाज नदीम अंसारी को उसके घायल हो जाने पर सरकारी खर्चे से बेहतर इलाज उपलब्ध कराने उसे एयर एंबुलेंस उपलब्ध करा देती है, जबकि अंकिता अंत तक आवश्यक संसाधन के लिए तड़पती रही।
झारखंड की तीसरी घटना बता रही है कि यहां रह रहे मुसलमान इस अनुसूचित जनजाति बहुल राज्य में स्थानीय निवासियों को कुछ नहीं समझ रहे । झारखंड के दुमका जिले में एक नाबालिग आदिवासी लड़की का शव पेड़ से लटका मिलता है और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहते हैं, ऐसी घटनाएंं तो होती रहती हैं । क्या आप एक मुख्यमंत्री या संविधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति से इस तरह वक्तव्य सुनने की आशा करेंगे? उत्तर होगा बिल्कुल नहीं। क्यों कि जिस संविधान को भारतीय गणराज्य ने धारण किया है, उसकी प्रस्तावना अपने आप में बहुत कुछ स्पष्ट कर देती है।
वस्तुत: संविधान का यह पहला कथन, प्रस्तावना कहती है- ”हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को : सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिती मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, सवंत दो हजार छह विक्रमी) को एततद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मा समर्पित करते हैं।” यहां परस्पर नागरिक एवं राज्य दोनों के ही एक दूसरे के प्रति कर्तव्य हैं।
संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक उपलब्ध अधिकारों को मूल अधिकारों की संज्ञा दी गई है । इसमें साफ है कि नए नागरिक होने के नाते राज्य से उसे कौन से संरक्षण एवं अधिकार मिले हुए हैं। संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों में समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30), संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) हम देख सकते हैं। प्रश्न यह है कि क्या झारखंड सरकार राज्य में प्रदत्त प्रत्येक नागरिकों के इन अधिकारों का आज संरक्षण कर पा रही है ?
वस्तुत: पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद जिस ढंग से अंकिता को जलानेवाला शाहरुख मुस्कुरा रहा था, उससे समझ आ रहा था कि उसे कानून का कोई भय नहीं । अभी कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने देवबंद से इनामुल हक उर्फ इनाम इम्तियाज को यहां से गिरफ्तार किया, उसके लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़े होने के प्रमाण मिले। दिल्ली के अंसल प्लाजा विस्फोट में पकड़ा गया शाहनवाज इसी राज्य से था । कलीमउद्दीन मुजाहिरी को झारखंड एटीएस ने अलकायदा से जुड़े होने पर गिरफ्तार किया, वह अलकायदा के सक्रिय आतंकी अब्दुल रहमान अली उर्फ कटकी का सहयोगी पाया गया। अब्दुल रहमान के अतिरिक्त अब्दुल सामी, अहमद मसूद, राजू उर्फ नसीम अख्तर और जीशान हैदर भी गिरफ्तार हुए थे । इससे पहले बोधगया में हुए आतंकी धमाकों के दोषी भी इसी राज्य से पकड़े गए ।
पटना से फुलवारी शरीफ तक पीएफआई का जो बहुचर्चित माड्यूल पकड़ा गया, उसका प्रमुख जलालुद्दीन झारखंड के कई थानों में दरोगा के रूप में कार्य कर चुका है। खुफिया एजेंसियों ने इंडियन मुजाहिदीन का एक बड़ा तंत्र झारखंड में पाया है । बीते 10 जून को जुमे की नमाज के बाद रांची की सड़कों पर जो हुआ, उसे सभी से मीडिया के माध्यम से अपनी खुली आंखों से देखा, किंतु हेमंत सोरेन सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की हद देखिए कि पुलिस जब हिंसा करने वालों में से कुछ की तस्वीरें चौराहे पर लगाती है, तब उस पर इतना राजनीतिक प्रेशर आता है कि वह बिना देरी किए इन तस्वीरों को यह कहकर हटा देती है कि उनमें कुछ गड़बड़ियां हैं।
झारखंड में ही यह सामने आया कि कैसे विद्यालयों में प्रार्थना का समय और दिन बदल दिया गया । मुसलमानों के बहुमत वाले स्थलों से कहा गया कि उनकी संख्या अधिक है, इसलिए उनके अनुसार ही प्रार्थना होगी। इसी तरह रविवार की जगह शुक्रवार को स्कूल में छुट्टियां होने की घटनाएंं सामने आ रही हैं । पलामू जिले के मुरूमातू गांव में मुसलमानों के एक समूह ने 20 दलित परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया और सरकार मूक दर्शक की तरह देखती रह गई।
बरही में सरस्वती पूजा पर जो मुसलमानों ने किया, उस पर हेमंत सरकार आज भी कटघरे में है। गिरीडीह से लेकर अनेक स्थानों पर हर साल दुर्गा पूजा और राम नवमी के दौरान हिंसात्मक घटनाएंं घट रही हैं। खूंटी, कोडरमा, रांची, साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा में इस्लामिक कट्टरवादियों के हमलों को रोकने में सरकार अब तक विफल साबित हुई है। राज्य से होकर बांग्लादेश तक खुले तौर पर गौ तस्करी हो रही है। विधानसभा में नमाज रूम, हिन्दी विद्यालयों को उर्दू में बदलने के प्रयास, जुमा की छुट्टी, नौकरी में उर्दू की अनिवार्यता जैसे तमाम विषय आज आप देख सकते हैं कि कैसे झारखंड में मुस्लिम तुष्टिकरण किया जा रहा है।
वस्तुत: कहा जा सकता है कि जो यह अपराध कर रहे हैं उन्हें राज्य सरकार का कोई भय नहीं । मुस्लिम कट्टरवाद और जिहादी आतंकवाद के साथ लव जिहाद की यहां लम्बे समय से एक के बाद एक घटनाएंं घट रही हैं। आज इन सभी घटनाओं से साफ नजर आ रहा है कि हेमंत सोरेन की सरकार सांप्रदायिक हो चुकी है। जिसके लिए एक लोकल्याणकारी राज्य में बिल्कुल भी संविधानिक अनुमति नहीं है। जिस पद एवं गोपनीयता की शपथ मुख्यमंत्री बनते समय हेमंत सोरेन ने ली है, आज वह समय आ गया है कि जनता सामूहिक रूप से उन्हें यह शपथ याद दिलाए। साथ ही उन्हें यह भी याद दिलाने की आज बहुत आवश्यकता है कि राज्य के लिए प्रत्येक नागरिक समान है। किसी भी प्रकार के भेदभाव के लिए यहां कोई स्थान नहीं है।
(लेखक, फिल्म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं)।
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