कोपनहेगन। कोविड-19(COVID-19) की चपेट में आ चुके 65 साल से कम उम्र के लोग अगले छह महीने तक इससे सुरक्षित हैं। फिर से संक्रमण(Re transition) के मामले एक प्रतिशत से भी कम हैं। लेकिन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में सुरक्षा की यह अवधि और कम हो सकती है। वैज्ञानिक जर्नल लेंसेट (Scientific journal lancet) में प्रकाशित अध्ययन में यह दावा किया गया है।
इस अध्ययन के लिए डेनमार्क(Denmark) में हुए करीब 40 लाख पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट (40 lakh PCR test report) को देखा गया। इसके अनुसार अमेरिका, कतर, ब्रिटेन (America, Qatar, UK) आदि में हुई जांच में फिर से हुए संक्रमण के मामले एक प्रतिशत से कम हैं। लेकिन डेनमार्क का अध्ययन संकेत करता है कि इनमें 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या अधिक (Number of people over 65 years of age) है।
यह भी सामने आया कि यहां 65 साल से कम उम्र के 80 प्रतिशत लोग फिर संक्रमित होने से सुरक्षित हैं। जबकि 65 वर्ष से अधिक उम्र के 47 प्रतिशत लोग ही सुरक्षित मिले। पूर्व में इसी तरह के अध्ययनों में संक्रमण से सुरक्षा की दर 77 से 83 प्रतिशत आंकी गई थी।
वैज्ञानिकों के अनुसार अधिक उम्र में कमजोर हो चुके शारीरिक अंग और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Body parts and weak immunity) की वजह से बुजुर्गों में फिर से संक्रमण की संभावना बढ़ रही (infection is increasing) है।
अच्छी बात यह भी रही कि वैज्ञानिकों को ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला कि एक बार संक्रमित हुए लोगों में कोरोना के खिलाफ प्राकृतिक रूप से विकसित प्रतिरोधक क्षमता छह महीने बाद कमजोर पड़ गई। हालांकि वे मानते हैं कि अभी इस बीमारी को एक साल से थोड़ा ही अधिक समय हुआ है, इसलिए लंबे अध्ययन के बिना पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकते।
वैज्ञानिकों ने कहा कि बुजुर्ग प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता के भरोसे नहीं रह सकते। इसीलिए जरूरी है कि सभी का टीकाकरण हो। यही फिलहाल सबसे विश्वसनीय तरीका है। व्यक्ति से व्यक्ति की दूरी, मास्क पहनने, हाथ धोते रहने जैसे मूल तौर तरीके भी सख्ती से मानें।
अध्ययन में डेनमार्क को चुना गया क्योंकि यहां दिसंबर तक 40 लाख लोगों के एक करोड़ टेस्ट हो चुके हैं। देश की दो-तिहाई आबादी जांच के दायरे में आ चुकी है। इसे विश्व का सबसे सफल जांच कार्यक्रम माना जाता है।
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