जबलपुर। फिल्म अभिनेता सैफ अली खान के परिवार की करोड़ों की संपत्ति पर संकट गहरा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व में हाई कोर्ट द्वारा अपीलीय अधिकरण के समक्ष अपील दायर करने स्वतंत्र किए जाने के विकल्प का निर्धारित समयावधि 30 दिन के भीतर लाभ नहीं उठाने की गलती कर दी गई है। इसी के साथ इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा 2015 से लगी रोक हट गई है। परिणाम स्वरूप भोपाल जिला प्रशासन संपत्तियां अधीन करने स्वतंत्र हो गया है। वह कभी भी यह कार्रवाई प्रारंभ कर सकता है। हालांकि सैफ परिवार के पास हाई कोर्ट की युगलपीठ के समक्ष अपील दायर करने का विकल्प अब भी मौजूद है।
यह था हाईकोर्ट का पूर्व आदेश
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, सैफ अली खान और सबीहा सुल्तान को एनिमी प्रापर्टी के संबंध में केन्द्र सरकार के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने केन्द्र को कहा था कि यदि 30 दिन के भीतर अभ्यावेदन पेश होता है तो उसका गुण-दोष के आधार पर निराकरण करेंगे। भोपाल निवासी तीनों याचिकाकर्ताओं ने कस्टोडियन आफ एनिमी प्रापर्टी के एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी। इसके तहत उनकी कुछ संपत्ति को एनिमी प्रापर्टी घोषित कर दिया गया था। बहस के दौरान दलील दी गई थी कि इस संबंध में प्रशासन को अभ्यावेदन दिया था, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से डिप्टी सालिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने अवगत कराया था कि 2017 में एनिमी प्रापर्टी एक्ट-1968 में कुछ संशोधन हुआ है। इसके तहत एनिमी प्रापर्टी से जुड़े मामलों में प्रभावित पक्ष केन्द्र सरकार को अभ्यावेदन दे सकता है। याचिकाकर्ताओं के पास उचित फोरम में जाने का विकल्प मौजूद है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने उक्त निर्देश के साथ याचिका का पटाक्षेप कर दिया था।
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