इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

प्रवासी भारतीय सम्मेलन पर करोड़ों खर्च, लेकिन प्रवासी भारतीय मेहमानों पर एक रुपया भी नहीं, मुफ्त में नहीं बुलाए मेहमान

  • यह कैसी बारात… न्योता सरकार का मगर खर्च खुद प्रवासी भारतीय उठाएंगे

इंदौर, विकाससिंह राठौर। मध्यप्रदेश में पहली बार 8 से 10 जनवरी 2023 तक इंदौर में होने वाले जिस 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का न्योता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया और जिसमें दुनिया के 65 से ज्यादा देशों में रहने वाले भारतीय शामिल होने जा रहे हैं, उसकी तैयारी पर तो सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन प्रवासी भारतीयों के लिए यह सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है, उन पर खर्च करना तो दूर उन्हें रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में अपने भोजन तक का पैसा चुकाना पड़ेगा। आने-जाने की फ्लाइट का खर्च तो वे उठाएंगे ही, वहीं शहर में आने-जाने के लिए वाहन और होटल में ठहरने तक का खर्च भी खुद को ही उठाना होगा।

विदेश मंत्रालय और मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस आयोजन के लिए प्रवासी भारतीयों को दूतावासों द्वारा आमंत्रित किया जा रहा है। सम्मेलन के लिए शासन ने एक वेबसाइट (द्धह्लह्लश्चह्य://श्चड्ढस्रद्बठ्ठस्रद्बड्ड.द्दश1.द्बठ्ठ/) भी बनाई है, जिस पर जाकर हर प्रवासी भारतीय को इसमें शामिल होने की सारी प्रक्रिया पूरी करना होगी।

एक दिन का शुल्क 5 हजार, मिलेगा बस दो वक्त खाना
रजिस्ट्रेशन शुल्क की बात करें तो अगर कोई एक एनआरआई एक दिन के लिए इस सम्मेलन में शामिल होना चाहता है तो उसे 5000 रुपए, दो दिन के लिए 7500 रुपए और तीन दिन के लिए 10 हजार रुपए चुकाना होंगे। वहीं पीआईओ को एक दिन के लिए 100 डॉलर (करीब 8100 रुपए), दो दिन के लिए 150 डॉलर (करीब 12150 रुपए) और तीन दिन के लिए 200 डॉलर (करीब 16200 रुपए) चुकाना होंगे। 10 से 50 लोगों तक का ग्रुप होने पर इस शुल्क में 25 प्रतिशत और 50 से 100 लोगों तक का ग्रुप होने पर 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।


एक थाली ढाई हजार वाली
‘अग्निबाण’ से चर्चा में एक प्रवासी भारतीय ने बताया कि एक दिन के कार्यक्रम के लिए पांच हजार रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क चुकाकर सिर्फ दो वक्त का भोजन दिया जा रहा है। इस तरह एक थाली ढाई हजार रुपए की पड़ रही है। उन्हें विदेशों से इंदौर तक आने-जाने, ठहरने और घूमने का खर्च खुद उठाना पड़ेगा। कम से कम शासन को रजिस्ट्रेशन शुल्क खत्म करना चाहिए या शुल्क बढ़ाकर वाहन और ठहरने की भी व्यवस्था करना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रवासी भारतीय इस आयोजन का हिस्सा बन सकें।

राजबाड़ा घुमाने के लेंगे 2 हजार रुपए
सम्मेलन में आने वाले मेहमानों को इंदौर और आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर घुमाने की भी योजना है। इसकी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग को दी गई है, लेकिन इस सैर-सपाटे के लिए भी हर मेहमान को मोटी रकम चुकाना होगी। शासन की वेबसाइट ही बता रही है कि मेहमानों को सिर्फ राजबाड़ा के आसपास दो घंटे के हैरिटेज वॉक टूर के लिए दो हजार रुपए चुकाना होंगे। इसमें कैब से मेहमानों को होटल से बैठाकर बोलिया सरकार की छत्री पर उतारा जाएगा। यहां से उन्हें पैदल कृष्णपुरा छत्री, सावरकर मार्केट, बांकेबिहारी मंदिर, गोपाल मंदिर, इमामबाड़ा, दुर्गा मंदिर, मल्हारी मार्तंड मंदिर होते हुए राजबाड़ा तक ले जाया जाएगा। टूर के दौरान नाश्ता, पानी की बोतल मिलेगी और वापस होटल छोड़ दिया जाएगा। ऐसे ही इंदौर का टूर, सराफा और 56 चौपाटी का टूर करने पर भी मोटी रकम चुकाना होगी। यही स्थिति शहर के आसपास के क्षेत्रों तक घूमने जाने के लिए भी है।

गांधी लौटे थे, इसलिए मनता है सम्मेलन
9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत 2003 में हुई थी। इस तारीख के साथ खास बात यह जुड़ी है कि 1915 में इसी तारीख को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत लौटे थे। उन्हें भारत का सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है, इसलिए 2003 से 8 से 10 जनवरी के बीच प्रवासी भारतीय सम्मेलन की परंपरा शुरू हुई।

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