भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सीएमओ नहीं पहुंच रही मैदानी अफसरों की डेली रिपोर्ट

  • दस माह बाद भी तैयार नहीं हुआ मॉनीटरिंग सिस्टम

भोपाल। प्रदेश में विकास कार्यों को गति देने और योजनाओं-परियोजनाओं को मॉनीटरिंग करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार करने का निर्देश दिया था। इस मॉनीटरिंग सिस्टम पर मैदानी अफसर यानी कमिश्रर और कलेक्टर को डेली रिपोर्ट भेजनी थी। लेकिन सिस्टम तैयार नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय (सीएमओ)मैदानी अफसरों की डेली रिपोर्ट नहीं पहुंच पा रही है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश हैं कि मंत्रालय के साथ जिलों और संभागों में पदस्थ आला अफसर अपनी डेली रिपोर्ट सीएम सचिवालय को भेजें, जिससे वे किसी भी अफसर के कामकाज की जानकारी एक क्लिक में ले सकें, लेकिन उनकी इस मंशा पर अफसर ही पानी फेर रहे हैं। अफसरों की हीलाहवाली के चलते पिछले दस माह बाद भी मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार नहीं हो सका है। सामान्य प्रशासन विभाग के एसीएस विनोद कुमार का कहना है कि अफसरों के निरीक्षण और दौरों की डेली रिपोर्ट सीएम सचिवालय पहुंचाने के लिए सिस्टम तैयार हो रहा है। इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम इसके लिए काम कर रहा है। उम्मीद है कि एक माह के भीतर सभी कार्रवाई पूरी हो जाएंगी।

सीएम ने 3 जनवरी को दिया था निर्देश
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 जनवरी को सामान्य प्रशासन विभाग की समीक्षा में कहा था कि अधिकारी और कर्मचारियों की टालने, फाइल लटकाने और आलस भरी मानसिकता बदलने की जरूरत है। विभाग प्रमुखों को मंत्रालय में अपनी कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए निरीक्षण व्यवस्था को मजबूत करना होगा। उन्होंने यह नसीहत मंत्री सहित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव स्तर के अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों के अफसरों को दी थी। उनके यह भी निर्देश थे कि राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारी भी जिलों और विकासखंड का दौरा करें। इन अफसरों के दौरों की राज्य स्तर से मॉनीटरिंग की जाएगी। जिला स्तरीय अधिकारियों के दौरों की ऑनलाइन सुपरविजन हो। ऐसी व्यवस्था बने कि दौरा कार्यक्रमों की रिपोर्ट हर दिन सीएम सचिवालय भेजी जाए।


जीएडी भेज चुका है दो पत्र
अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले भ्रमण और निरीक्षण की ऑनलाइन एंट्री, ट्रेकिंग और मॉनीटरिंग के लिए एक संस्थागत व्यवस्था बनाई जा रही है। इसके माध्यम से नियमित रूप से मुख्यमंत्री सचिवालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए 3 फरवरी को एमडी इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन को पहला पत्र जारी गया। जब इसका रिस्पॉन्स नहीं मिला तो 5 अगस्त को फिर स्मरण पत्र लिखा। बावजूद कॉर्पोरेशन मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार नहीं कर पाया। इधर, कलेक्टर और कमिश्नरों की भी डेली रिपोर्ट सीएम सचिवालय नहीं पहुंच रही है। इस बारे में पीएस सीएम सचिवालय मनीष रस्तोगी से भी कोई उत्तर नहीं मिला। इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के एमडी अभिजीत अग्रवाल भी उपलब्ध नहीं हो सके।

कलेक्टर-कमिश्नर नहीं कर रहे गांव में रात्रि विश्राम
उधर, प्रदेश के जिलों की कमान संभाल रहे कलेक्टर ही अपने कर्तव्य के प्रति उदासीन है। न तो कलेक्टर अपने जिलों के गांव में रात्रि विश्राम कर रहे हैं और न ही अपनी अग्रिम दौरा डायरी आनलाइन भेज रहे है। ऐसे एक या दो नहीं बल्कि 16 से अधिक जिलों के कलेक्टर है। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के साफ निर्देश हैं कि कलेक्टर माह में तीन दिन जिले के गांवों में रात्रि विश्राम करें। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि कलेक्टर गांव में रहकर वहां की वस्तुस्थिति को जाने, समझे और ग्रामीणों की समस्यओं का गांव में ही रहकर तत्काल समाधान कर सकें। पिछले दिनों कलेक्टरों की गांव में रात्रि विश्राम न करने की जानकारी मुख्य सचिव के संज्ञान में आइ थी, मुख्य सचिव ने इसको लेकर नाराजगी भी जताई है और कलेक्टरों को सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों का पालन करने को कहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को अपने -अपने जिले के गांवों में माह में तीन दिन रात्रि विश्राम करने को कहा था। अग्रिम दौरा डायरी भी आनलाइन भेजने की व्यवस्था बनाई गई थी। जिसके बाद इसी वर्ष सामान्य प्रशासन विभाग अग्रिम दौरा डायरी और गांव में रात्रि विश्राम करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे।

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