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हाथ की बनावट में छिपे होते हैं गहरे राज, जानें क्या कहता है हस्तरेखा शास्त्र

डेस्क: हस्तरेखा शास्त्र मनुष्य का भाग्य बताने वाला महत्वपूर्ण शास्त्र है. इसमें हाथों की बनावट से लेकर उसकी लकीरों व चिह्नों के आधार पर व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जाता है. आज हम उसी शास्त्र के अनुसार हथेली की बनावट व उसके आधार पर मनुष्य के स्वभाव व भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं.

हथेली का आकार व भविष्य
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार आकार- प्रकार के आधार पर हथेली या हाथ को सात भागों में बांटा गया है. इन्हें प्रारंभिक, वर्गाकार, दार्शनिक, कर्मठ, कलात्मक, आदर्श व मिश्रित कहा गया है. इनके लक्षण व असर इस तरह हैं:-


  1. प्रारंभिक हाथ : भारी, खुरदरा व बेडौल हाथ प्रारंभिक हाथ कहा जाता है. रोमों से भरे इस हाथ में अंगुलियां छोटी होती हैं. ऐसे व्यक्ति बुद्धि से कमजोर व अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं.
  2. वर्गाकार: इस हथेली की बनावट वर्ग की तरह चौरस होती है. ये हाथ व्यवहार बुद्धि का प्रतीक है. ऐसे व्यक्तियों का लक्ष्य धन और वैभव होता है. लगातार प्रयासों से वह अपने लक्ष्य को प्राप्त भी कर लेते हैं. यह हाथ व्यावसायिक सफलता का प्रतीक है.
  3. दार्शनिक: ये हाथ अस्थि यानी हड्डी प्रधान व दिखने में बेडौल होता है. अंगुलियों के जोड़ काफी साफ होते हैं. ऐसे व्यक्ति दार्शनिक और आदर्शों में विश्वास रखने वाले हैं. ज्ञान प्राप्ति व मानव कल्याण इनका लक्ष्य होता है. यदि दार्शनिक अंगुलियां एक वर्गाकार हथेली पर हो तो ऐसा व्यक्ति ज्ञान और प्रतिभा के साथ धन व वैभव प्राप्त करने में सफल रहता है.
  4. कर्मठ: मणिबंध के पास से भारी व लंबा हाथ कर्मठता की निशानी है. इस हाथ की अंगुलियां बेडौल व उसके सिरे ऊपर से फैले हुए होते हैं. ऐसे हाथ वाले व्यक्ति बेकार नहीं बैठ सकते. यदि अंगुलियां गठीली व लंबी हों तो व्यक्ति नया आविष्कार भी कर सकता है.
  5. कलात्मक: इस हाथ की बनावट नरम होती है. अंगुलियां लंबी, पतली व नुकीली होती है. ऐसे व्यक्तियों का सौंदर्य बोध विकसित होता है. स्वभाव में लापरवाही की वजह से ऐसे हाथ वाले व्यक्ति व्यापार में सफल नहीं होते, पर कलात्मक कार्यों में इनकी सफलता की संभावना ज्यादा रहती है.
  6. आदर्श: इस हाथ का गठन सुडौल होता है. त्वचा गुलाबी व मुलायम होने के साथ अंगुलियां भी आनुपातिक होती हैं. ऐसे व्यक्ति उन्नत मष्तिष्क वाले, लेकिन स्वप्न और आदर्शों के जगत में जीने वाले होते हैं. इनका जीवन आमतौर पर सुखमय होता है.
  7. मिश्रित: हाथ का अंतिम प्रकार मिश्रित है. इसमें प्रारंभिक, वर्गाकार, दार्शनिक, कर्मठ, कलात्मक और आदर्श हाथों के एक या ज्यादा गुण मिल सकते हैं. यही मिश्रण ऐसे हाथ वाले व्यक्ति के चरित्र में भी मिलता है. सामाजिक दृष्टि से यह व्यक्ति प्रभावहीन होते हैं. अन्य क्षेत्रों में सफलता के लिए भी ऐसे लोगों को संघर्ष करना पड़ता है.
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