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UP-एमपी समेत कई राज्‍यों में डेंगू-वायरल फीवर बरपा रहा कहर, बंगाल में डायरिया से दो की मौत

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) समेत कई राज्यों में इन दिनों वायरल फीवर-डेंगू (viral fever-dengue) की बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में बच्चों के बेड्स ज्यादातर भरे हुए हैं और नए बीमार बच्चों को भर्ती कर इलाज करने की जगह तक नसीब नहीं हो रही है। वहीं, पश्चिम बंगाल के कमारहट्टी में डायरिया और हैजा ने कहर बरपा रखा है। दो लोगों की जान चली गई है, जबकि कई अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

वहीं, यूपी के फिरोजाबाद (Firozabad) में जहां लोग अपने मासूम बच्चों की जान बचाने के लिए अस्पतालों की दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं और उन्हें भर्ती करने के लिए गुहार लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए जा रहे ग्रामीण क्षेत्रों में दवाई वितरण कैंप में एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। शिकोहाबाद के आमरी गांव के अंबेडकर पार्क में जहां बुधवार शाम को स्वास्थ्य विभाग का मेडिकल कैंप लगा था, उसमें स्वास्थ्य विभाग (health Department) द्वारा जो बुखार की दवाई बांटी गई वह एक्सपायर हो चुकी थी। एक महिला ने जब उस दवा को खाया तो वह रिएक्शन कर गई, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

मुजफ्फरपुर में राहतभरी खबर
बिहार में बढ़ते वायरल फीवर (viral fever) के मामलों के बीच मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच से कुछ राहत वाली खबर है। तीन से पांच दिन में बच्चे पूर्णतः स्वस्थ हो कर घर वापस जा रहे हैं तो वहीं वायरल फीवर से एक भी बच्चे की जान नहीं गई है। एसकेएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ. बीएस झा ने बताया कि अस्पताल में 164 बच्चे भर्ती हैं, जिनमें 37 बच्चे वायरल फीवर के है। रोजाना 30 से 35 बच्चे भर्ती हो रहे हैं। वहीं प्रतिदिन स्वस्थ होकर बच्चे अस्पताल से रिलीज भी हो रहे हैं। अस्पताल में पर्याप्त जगह है और इलाज की समुचित व्यवस्था भी है। ऐसे में यदि बच्चे को वायरल फीवर हो रहा है तो पैनिक होने की जरूरत नहीं है। तीन से पांच दिन में पूर्णतः स्वस्थ्य हो जा रहे हैं।



उन्होंने बताया कि हर साल इस तरह के वायरल फीवर के मामले आते हैं, लेकिन इस साल संख्या ज्यादा है। लेकिन वायरल फीवर से कैजुअल्टी न के बराबर है इसलिए पैनिक नहीं होना चाहिए। वहीं वार्ड के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर कृष्ण केशव ने बताया कि कोई पैनिक की बात नहीं है। इस समय हर एक घर में सर्दी, खांसी, बुखार होना वायरल फीवर का सिस्टम होता है। रोजाना 30 से 40 बच्चे भर्ती हो रहे हैं और डिस्चार्ज भी उसी अनुसार से हो रहे हैं।

बंगाल में डायरिया के मामलों में बढ़ोतरी
उधर, पश्चिम बंगाल (West Bengal) के उत्तरी 24 परगना के कमारहट्टी इलाके में डायरिया के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं-बच्चों समेत कई लोग बीमार हो गए हैं। इन लोगों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है, जहां पर इलाज चल रहा है। अब तक दो महिलाओं की डायरिया (diarrhea) के चलते जान जा चुकी है।

MP में एक हफ्ते में 422 बच्चे बीमार, तीन कोमा में
मध्य प्रदेश राजगढ़ में अचानक वायरल के साथ अब निमोनिया और टाइफाइड के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ के अनुसार पिछले एक सप्ताह की ओपीडी रिपोर्ट में 422 बच्चे वायरल, निमोनिया, बुखार के इलाज के लिए आए हैं, जिनमे अचानक चक्कर आकर गिरने के बाद 3 बच्चे गंभीर हो गए जिन्हें रेफर किया गया है। रिकॉर्ड में दिए नाम के अनुसार, तीन बच्चों के कोमा में जाने के बाद रेफर किया गया है।

जिला चिकित्सालय में तैनात डॉ. आरएस माथुर शिशुरोग विशेषज्ञ ने बताया कि सर्दी बुखार निमोनिया के मामलों में 7 दिनों में तीन से चार गुना बच्चे बढ़ गए हैं। आईपीडी सहित ओपीडी में ज्यादातर बच्चे तेज बुखार के आए हैं। जानकारी नहीं होने से तेज बुखार बच्चों के दिमाग में चढ जाता है और बच्चे झटके खाकर कोमा में जा रहे हैं। ऐसे हमारे पास तीन से चार बच्चे आए जो कोमा में चले गए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास पीआईसीयू नहीं है। बच्चों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है ऐसे में बच्चों को हमने रेफर किया है।

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